...तो अब राजा की बारात का इंतजार है बाजार को

राजीव रंजन झा : कल दोपहर बाद जब पूर्व संचार मंत्री ए राजा (A Raja) की गिरफ्तारी की खबर आयी तो बाजार ने अपनी बढ़त का ज्यादातर हिस्सा गँवा दिया।

आखिर किस बात से डर गया बाजार? क्या इस बात से कि यह खबर कांग्रेस और ए राजा की पार्टी द्रमुक के रिश्तों को तोड़ देगी? ऐसा कुछ लगता तो नहीं। राजा की गिरफ्तारी से एक दिन पहले ही द्रमुक के अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि दिल्ली में थे। उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी से मुलाकात भी की थी।
भारत में राजनीति जिस तरह से चलती है, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दोनों दलों के बीच इस कदम पर पहले ही बातचीत हो गयी होगी। या तो राजा की बलि देने पर सहमति बन गयी होगी, या फिर आगे चल कर राजा को बचाने के तरीके सोच लिये गये होंगे। दोनों में से जो भी बात हो, शायद अभी संसद के बजट सत्र को बचाने की कोशिश में राजा को सलाखों के पीछे भेजा गया है।
फिर बाजार को डर किस बात का है? शायद इस बात का कि राजा के पीछे-पीछे कहीं उनकी बारात न चली आये सीबीआई के शिकंजे में। अभी तो उनके साथ काम कर चुके 02 अधिकारी गिरफ्तार किये गये हैं, लेकिन देर-सबेर बात उन पर आयेगी, जिन्होंने इस पूरे घोटाले में फायदा उठाया – यानी वे कंपनियाँ जिनको अनुचित तरीके से लाइसेंस या स्पेक्ट्रम दिये गये। आखिर यह सवाल तो उठना ही है कि राजा ने अगर कुछ लोगों को अनुचित तरीके से फायदा दिलाने का अपराध किया, तो अनुचित फायदा उठाने वाले लोगों पर क्या कार्रवाई की गयी है?
सर्वोच्च न्यायालय ने इस मसले पर सुनवाई के दौरान काफी तल्ख टिप्पणियाँ भी की हैं। हालाँकि हाल में टेलीकॉम कंपनियों को राहत देने वाली बात यह रही कि न्यायालय ने इकतरफा ढंग से कोई आदेश देने से इन्कार कर दिया। न्यायालय की यह टिप्पणी स्वाभाविक और न्यायोचित ही है कि टेलीकॉम कंपनियों का पक्ष सुने बिना उनके खिलाफ कोई आदेश नहीं दिया जा सकता। लेकिन इतना तो दिख ही रहा है कि राजा के हाथों से लाइसेंस पाने वाली कंपनियों पर तलवार लटक रही है।
अदालती फैसलों के बारे में कोई अटकलबाजी ठीक नहीं होती, लेकिन इतना तो कहा ही जा सकता है कि अगर कुछ कंपनियों को गैरकानूनी तरीके अपना कर लाइसेंस पाने का दोषी पाया गया तो उनके लाइसेंस रद्द होने के साथ-साथ उन पर आपराधिक मामला बनने की भी नौबत आ सकती है। पहले से सेवाएँ दे रही जिन कंपनियों को राजा के दौर में अतिरिक्त स्पेक्ट्रम मिला, उनके बारे में भी अगर रिश्वत या गैरकानूनी सांठगांठ के सबूत मिले तो उनके लिए भी यह एक बड़ी परेशानी बन जायेगी। Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 03 फरवरी 2011)