रिलायंस (RIL) के नतीजों पर जानकार संतुष्ट, शेयर भाव ठंडा

राजीव रंजन झा : आज सुबह रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) के शेयर भावों को देख कर बाजार के अनमनेपन का ही आभास मिलता है, क्योंकि कल शाम आये इसके तिमाही नतीजों ने बाजार को किसी भी रूप में निराश तो नहीं किया, मगर आज शेयर भाव ठंडा ही है।

शुरुआती मिनटों में थोड़ी बढ़त दिखी, पर वह टिकी नहीं।  ऐसा भी नहीं है कि रिलायंस का शेयर नतीजों से पहले काफी चढ़ा हो और लोग कहें कि नतीजों की उम्मीदें भावों पर पहले से ही असर दिखा चुकी हैं। उल्टे यह सितंबर 2012 के मध्य में दिखे ऊपरी स्तर 881 से फिसल कर अब 820-825 के आसपास है।
अभी मेरे लिए स्पष्ट सोच पाना मुश्किल है कि बाजार के इस अनमनेपन के पीछे क्या है। काफी समय बाद कंपनी के तिमाही नतीजों के बाद कामकाजी स्तर पर इसकी खिंचाई करने के लिए विश्लेषकों को कुछ खास नहीं मिला है। उल्टे कई ऐसी सकारात्मक बातें हैं, जिनकी कहानी अगर आगे बढ़ सकीं तो बाजार उन बातों को तवज्जो देने के लिए मजबूर हो सकता है। लेकिन अगर इसके बावजूद हमें नतीजों के बाद इसमें उत्साह नहीं दिखा, तो इसका यही मतलब हो सकता है कि शायद बड़े लोगों को कुछ ऐसा मालूम है जो अब तक बाजार में सामने नहीं आया है, या फिर बाजार का यह ठंडापन आपको खरीदारी का एक अच्छा मौका दे रहा है।
एक मुद्दा यह है कि रिलायंस का ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन (GRM) इस बार बढ़ कर 9.5 डॉलर प्रति बैरल भले ही हो गया हो, लेकिन बाजार को यह भरोसा नहीं है कि जीआरएम इस स्तर पर टिक सकेगा। दरअसल वैश्विक आर्थिक माहौल को देख कर भी बाजार के जानकारों को यह शक है कि आने वाली तिमाहियों में शायद जीआरएम इतना न रह सके। इसलिए बाजार शायद जीआरएम के बारे में भरोसा करने से पहले अगली तिमाही के नतीजों तक इंतजार करना बेहतर समझेगा। इस तिमाही का मुनाफा अनुमान के मुताबिक आने के बावजूद बाजार यह भी देख रहा है कि इसमें अन्य आमदनी में सामान्य से ज्यादा उछाल का योगदान रहा है।
कल एक खबर आयी थी कि रिलायंस-बीपी की साझा कंपनी ने केजी बेसिन के 9 ब्लॉक सरकार को लौटा दिये हैं। जानकारों को टटोला तो उनमें इस खबर को लेकर कोई चिंता नहीं दिखी। उन्होंने ध्यान दिलाया कि यह केजी-डी6 का मामला नहीं है, बल्कि अलग ब्लॉक हैं। कंपनी ने अगर यह आकलन कर लिया कि इन 9 ब्लॉकों में संभावना कम है, तो उन्हें सरकार को लौटा देना ही बेहतर है। कारण यह है कि अगर कंपनी ये ब्लॉक अपने हाथ में रखे रहे तो नियमों के हिसाब से उस पर खनन शुरू करने की जिम्मेदारी बन जाती है, जो एक महँगा काम है। लिहाजा नफा-नुकसान का हिसाब जोड़ कर कंपनी ने ये ब्लॉक लौटा दिये होंगे।
इसके अलावा कंपनी अब रसोई गैस (LPG) वितरण के कारोबार में उतरने की तैयारी में है। हालाँकि कंपनी के बेकार पड़े पेट्रोल पंपों के जाल को देख कर विश्लेषक इस नयी योजना को लेकर भी ज्यादा उत्साहित नहीं हैं। उन्हें डर है कि कहीं सब्सिडी के चक्कर में उलझ कर जिस तरह कंपनी के पेट्रोल-पंप बंद पड़े हैं, वैसा ही कहीं रसोई गैस के मामले में भी न हो जाये।
आने वाले दिनों में बाजार को 4जी नेटवर्क के चालू होने और 2जी की नीलामी में कंपनी के हिस्से लेने से जुड़ी खबरों पर भी नजर बनी रहेगी। बाजार इन खबरों को दिलचस्पी से देख तो रहा है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि इन्हें लेकर बाजार ने कुछ खास उम्मीदें पहले से लगा रखी हैं। इसलिए अगर इन पर उत्साहजनक खबरें आयें तो उनका सकारात्मक असर भी होगा।
कुल मिला कर नतीजों के बाद देसी-विदेशी ब्रोकिंग फर्मों की ठंडी प्रतिक्रिया से आज रिलायंस का शेयर भाव ठंडा जरूर है, लेकिन भविष्य को लेकर मुझे लगता है कि रिलायंस में नुकसान की गुंजाइश कम, फायदे की उम्मीदें ज्यादा रहेंगी। अभी जब तक यह शेयर 800 के नीचे न जाये, तब तक खामखा क्यों फिक्र करें! Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 16 अक्टूबर 2012)