राजीव रंजन झा : कल भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भले ही सावधानी और चिंताओं वाले वचनों के साथ अपनी रेपो दर (Repo Rate) और सीआरआर (CRR) में कटौती की, लेकिन कुल मिला कर इसने बाजार को उम्मीदों से थोड़ा ज्यादा ही दिया।
इसके बावजूद कल बाजार ऊपरी स्तरों पर टिक नहीं सका। आखिर पिछले चार-छह हफ्तों से बाजार में हर विश्लेषक क्या कह रहा था? यही ना कि कर्ज नीति से तय होगी बाजार की अगली दिशा। लेकिन कल वह दिशा बाजार क्यों भूल गया? है ना अचरज में डालने वाली बात!
लेकिन बाजार को थोड़ा समय दीजिए। अक्सर हर व्यक्ति के सामने दो तरह की प्राथमिकताएँ होती हंे – तात्कालिक और महत्वपूर्ण। उसी तरह बाजार अभी एक तात्कालिक प्राथमिकता को निपटाने में लगा है, जो जनवरी सीरीज के वायदा कारोबार का सेट्लमेंट है। यह सीरीज निपट जाये, इसके बाद बाजार अपनी अगली दिशा चुनने का महत्वपूर्ण काम कर सकता है।
वायदा बाजार के समीकरण अभी निफ्टी (Nifty) को 6000-6100 के दायरे में अटका रहे हैं। शायद गुरुवार तक बाजार इस दायरे से ज्यादा ऊपर-नीचे न जा सके। वैसे भी छोटी अवधि में निफ्टी नीचे 5950 और ऊपर 6120 के एक मोटे दायरे में है। सेट्लमेंट के बाद निफ्टी इनमें से जिस सीमा को पार करता दिखे, उस ओर एक नयी चाल बन सकती है।
आज के कारोबार में यह देखना महत्वपूर्ण रहेगा कि निफ्टी अपने आपको हरे निशान में बनाये रखने की कितनी कोशिश करता है। दरअसल कल निफ्टी जिस तरह ऊपरी स्तर से नीचे फिसला, उसका असर काटने के लिए यह जरूरी होगा कि यह कल के निचले स्तर 6042 को बचा कर रखे। इससे नीचे जाने पर करीब 6000 पर एक अच्छा सहारा है, लेकिन आने वाले दिनों में 5940 के नीचे फिसलना निफ्टी के लिए अच्छा संकेत नहीं होगा।
ऊपर की ओर 6120 पार करने पर क्या स्थिति बनेगी? कुछ जानकारों के हिसाब से 6180-6200 के आसपास बाधा दिखती है। लेकिन मेरे लिए यह समझना मुश्किल है कि जनवरी 2008 के शिखर 6357 और नवंबर 2010 के शिखर 6339 के बेहद करीब आने के बाद निफ्टी एक कदम पहले ही मुँह चुरा कर क्यों नीचे की ओर लौट जायेगा। बेशक मई-जून 2012 से चल रही एक चढ़ती पट्टी की ऊपरी रेखा से एक बाधा बनती है, लेकिन समय गुजरने के साथ यह बाधा लगातार ऊपर खिसकती जा रही है। अब तो यह ऊपरी रेखा 6250 के पास जा चुकी है। अगर बाजार ने बजट पूर्व तेजी दिखायी तो निफ्टी अगले कुछ हफ्तों में इस ऊपरी रेखा को मोटे तौर पर 6300 के आसपास छू लेगा और पिछले रिकॉर्ड स्तरों से भी गले मिलेगा। उस समय यह सावधानी से देखना होगा कि अपने पिछले ऐतिहासिक ऊँचे स्तर से यह आगे बढ़ रहा है या पलट रहा है। Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 30 जनवरी 2013)