बाजार ने पहले ही भुना ली एक्जिट पोल की उम्मीदें

राजीव रंजन झा : शुक्रवार की बड़ी उछाल के बाद आज सुबह फिर से भारतीय बाजार ने कुछ मजबूती दिखायी है। हालाँकि यह शुक्रवार जैसी तेजी को दोहराने में तो सफल नहीं रहा है, लेकिन अपने-आप में यही बात महत्वपूर्ण है कि यह मुनाफावसूली की आहट महसूस नहीं कर रहा है।

दरअसल शुक्रवार को सेंसेक्स और निफ्टी में जो बड़ी उछाल आयी थी, वह 18 मई 2009 के बाद से अब तक इनकी सबसे बड़ी एकदिनी उछाल थी। यानी इसमें कुछ-कुछ वही जोश था, जो 18 मई 2009 को चुनावी नतीजों के बाद भारतीय बाजार की प्रतिक्रिया में दिखा था।

लेकिन ऐसा क्यों हुआ कि बाजार ने चुनावी नतीजों, और यहाँ तक कि एक्जिट पोल के नतीजों को देखे बगैर ही उस तरह का जोश दिखा दिया? इसमें शायद ज्यादा अचरज इसलिए नहीं होना चाहिए कि वास्तव में फरवरी के पहले हफ्ते से ही बाजार कुछ-कुछ वैसा ही जोश दिखाता रहा है, मानो उसे चुनावी नतीजों की जानकारी पहले से मिल गयी हो।

हालाँकि कुछ अटकलों और बाजार की अफवाहों में यह भी कहा गया कि एक-दो चैनलों के आठ चरणों के अब तक के हुए मतदान के एक्जिट पोल के परिणाम गुपचुप तरीके से बाहर आ गये। इन अफवाहों में कितनी सच्चाई है, यह कहना बड़ा मुश्किल है। लेकिन शुक्रवार को जिस सरपट तरीके से बाजार ऊपर की ओर भागा, उसकी गति ने इन अफवाहों को और भी बल दिया।

आज सुबह के कारोबार में निफ्टी 6950 के ऊपर-नीचे नजर आ रहा है, यानी एक तरह से इसने 7,000 का मुकाम छू लिया है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि एक्जिट पोल के नतीजे बाजार की उम्मीदों के अनुरूप रहने पर बाजार में जैसा उत्साह दिखना चाहिए था, वह नवें चरण का मतदान जारी रहने के बीच ही बाजार ने दिखा दिया है।

ऐसे में आज शाम जब तमाम चैनलों पर एक्जिट पोल के नतीजे दिखेंगे, उसके अगले दिन कल 13 मई को बाजार के पास दिखाने के लिए कुछ और जोश बाकी रहेगा या नहीं, इस पर जरा संदेह होता है। शुक्रवार को बताया जा रहा था कि एक्जिट पोल के जो परिणाम गुपचुप बाहर आ गये हैं, उनके मुताबिक अकेले भाजपा ही 240-250 सीटें पाने की ओर बढ़ रही है। आज शाम सबसे पहले तो यह देखा जायेगा कि ऐसी अफवाहें सच के कितने करीब थीं, यानी कितनी एजेंसियों के एक्जिट पोल में भाजपा को 250 के करीब दिखाया जायेगा। और अगर वाकई कुछ एजेंसियों ने इसी तरह का एक्जिट पोल सामने रखा, तो भी बाजार उस उम्मीद को शुक्रवार और फिर आज सोमवार की चाल में पहले ही भुना चुका है।

ऐसे में अब यह उम्मीद लगाना आवश्यकता से अधिक आशावादी बनने जैसा होगा कि 13 मई को बाजार में फिर से फुलझड़ियों और पटाखों की लड़ी छूटेगी। लेकिन दूसरी ओर यह जोखिम जरूर पैदा होता है कि अगर एक्जिट पोल के परिणाम बाजार की अटकलों और फैलती अफवाहों से अठारह-उन्नीस ही रह गये तो कहीं मुनाफावसूली का झटका न लग जाये।

वैसे भी, यह याद रखने की जरूरत है कि आज शाम को हमें विभिन्न एजेंसियों की ओर से जो आँकड़े दिखेंगे, वे दरअसल एक्जिट पोल ही होंगे, वास्तविक परिणाम नहीं। वास्तविक परिणामों के लिए तो हमें 16 मई तक का इंतजार करना ही होगा। Rajeev Ranjan Jha

(शेयर मंथन, 12 मई 2014)