अदाणी समूह के दबाव के साथ बजट की चिंता भी गिरा रही है बाजार को

शेयर बाजार में आज आयी भारी गिरावट क्या केवल अदाणी समूह से संबंधित है या इस गिरावट के पीछे कुछ अन्य कारण भी हैं? पर क्या यह गिरावट निवेशकों के लिए नये अवसर ला रही है? आइए, देखते हैं कि बाजार के बड़े जानकार इस बारे में क्या कह रहे हैं।

अदाणी समूह की कंपनियों के बारे में हिंडेनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के चलते आज न केवल इस समूह के शेयरों में, बल्कि पूरे बाजार में भारी बिकवाली का दबाव दिख रहा है। अदाणी समूह के कई शेयरों में निचले सर्किट लग चुके हैं।
के. आर. चोकसी होल्डिंग्स के एमडी देवेन चोकसी की राय है कि डेरिवेटिव अब जनसंहार के हथियार (वीपंस ऑफ मास डिस्ट्रक्शन) साबित हो रहे हैं। उनके शब्दों में, 'अदाणी एंटरप्राइज के एफपीओ से पहले डेरिवेटिव बाजारों में बिकवाली सौदों (शॉर्ट सेल) के संगठित हमले ने भारतीय बाजार में निवेशकों के आत्मविश्वास को हिला दिया है।' वे कहते हैं कि बाजार में कारोबारियों (ट्रेडरों) के लिए सटीक समय ही सब कुछ है। अदाणी का एफपीओ आने और इस समूह पर नकारात्मक रिपोर्ट ने कारोबारियों को इस स्थिति का लाभ उठाने में मदद की है।
बाजार विश्लेषक अंबरीश बालिगा के अनुसार अदाणी समूह में आयी कमजोरी और इस समूह की आचारनीति (एथिक्स) पर उठ रहे सवालों से बाजार पर यह असर पड़ा है। बैंकों पर इसलिए प्रभाव पड़ा है कि उन्होंने अदाणी समूह को कर्ज दे रखा है। बालिगा मानते हैं कि यह गिरावट भावनात्मक ज्यादा है।
आईआईएफएल सिक्योरिटीज के निदेशक संजीव भसीन के शब्दों में, 'मंदड़ियों की ओर से अदाणी एफपीओ को पटरी से उतारने के लिए संगठित रूप से ऑप्शन सौदे किये गये हैं।' वे कहते हैं कि वैश्विक बाजारों में 2009 से अब तक की नये साल की सबसे अच्छी चाल दिख रही है। इसलिए यह समय डर को खरीदने का है, क्योंकि बजट में कोई खास बदलाव नहीं होने वाला है।
ग्लोबलफोरे के सीईओ पशुपति आडवाणी कहते हैं कि 20,000 करोड़ रुपये के आईपीओ को सोखने में बाजार को समय लगेगा। अच्छे स्थानीय संरक्षण के कारण यह आईपीओ पूरा हो जायेगा। पर इसके चलते एक सहगामी चोट (कोलैटेरल डैमेज) अन्य शेयरों में बिकवाली के रूप में दिख रही है।
पर इस दबाव को बजट से पहले की कुछ चिंताएँ भी बढ़ा रही हैं। प्रभुदास लीलाधर समूह की सीएमडी अमीषा वोरा के अनुसार आज बाजार में बजट-पूर्व घबराहट और वैश्विक बाजारों की उथल-पुथल का असर दिख रहा है। वे आशा जताती हैं कि बाजार में स्थिरता आ जायेगी, पर यह एक दायरे में रुक कर कुछ समय तक संघटित (कंसोलिडेट) होगा, क्योंकि भारत में मजबूत अर्थव्यवस्था और कंपनियों की आय वृद्धि (अर्निंग ग्रोथ) होते हुए भी यह तुलनात्मक रूप से एक महँगा बाजार है।
ऐंबिट एसेट मैनेजमेंट के एमडी एवं सीओओ सिद्धार्थ रस्तोगी का मानना है कि बजट की बड़ी घटना से पहले सौदों को काटा जा रहा है। लोग अपने एफऐंडओ सौदों को कैरी फॉरवर्ड नहीं कर रहे हैं। साथ ही तीसरी तिमाही के नतीजों से भी बाजार को चोट लगी है, क्योंकि अधिकांश नतीजों ने भविष्य में वृद्धि और मार्जिन के दबाव को लेकर चिंताएँ दिखायी हैं। ऑटो के नतीजे सुधरे हैं, आईटी क्षेत्र के नतीजे आशाओं के अनुरूप हैं, पर इसके अलावा व्यापक रूप से कंपनियों की आय (अर्निंग) पर दबाव है।
इनॉक वेंचर्स के एमडी विजय चोपड़ा का कहना है कि बाजार में आज की गिरावट अदाणी के बारे में रिपोर्ट और बजट से जुड़ी घबराहट, दोनों का मिला-जुला नतीजा है। बाजार को यह डर है कि कर (टैक्स) प्रावधानों में कुछ फेरबदल किया जा सकता है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज पीएमएस के प्रिंसिपल ऑफिसर और फंड मैनेजर अमित गुप्ता की राय है कि बाजार में बजट से पहले की एक घबराहट भी है, क्योंकि सरकार के सामने राजकोषीय (फिस्कल) घाटे पर नियंत्रण करने और जन-कल्याण योजनाओं को आगे बढ़ाने की दोहरी चुनौती है।
जीआरडी सिक्योरिटीज के रिसर्च प्रमुख संजीव जैन की नजर में बाजार में आज की गिरावट बुधवार की कमजोरी को ही आगे बढ़ा रही है। उनका भी मानना है कि अदाणी समूह की कंपनियों पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने बाजार की धारणा को चोट पहुँचायी है। इसके चलते ही बैंकिंग शेयर भी दबाव में हैं। वहीं खपत-आधारित (कंजंप्शन-बेस्ड) कंपनियों ने 2022-23 की तीसरी तिमाही में आशाओं से कमजोर नतीजे प्रस्तुत किये हैं। संजीव कहते हैं कि बजट भी सामने है, जिसका बाजार बेसब्री से इंतजार कर रहा है, खास तौर से करों के मोर्चे पर। बाजार की अगली दिशा बजट से ही निर्धारित होने की संभावना है और निफ्टी के लिए अभी बंद भाव के आधार पर 17,700 का स्तर बहुत महत्वपूर्ण है।
पर कुछ जानकार कह रहे हैं कि बाजार पहले से ही गिरावट के लिए तैयार था और इसे गिरने के लिए बस एक संकेत की प्रतीक्षा थी। जेएम फाइनेंशियल सर्विसेज के एमडी आशु मदान का कहना है कि यह गिरावट लंबे समय से बाकी थी और इसके उचित कारण हैं। एस्कॉर्ट्स सिक्योरिटीज के पूर्व निदेशक अशोक अग्रवाल कहते हैं कि यह गिरावट नये और सीधे-सादे निवेशकों के इस गलत विश्वास को दुरुस्त कर रही है कि बाजार केवल एक ही दिशा में ऊपर चलता रहता है।
चार्ट पंडित के सीईओ हेमेन कपाड़िया कहते हैं कि सोने में ऊपरी चाल है, ब्रेंट क्रूड भी सुधर रहा है और डॉलर इंडेक्स में काफी बिकवाली हो चुकी है, ऐसे में इक्विटी में स्पष्ट रूप से एक गिरावट आने की आवश्यकता दिख रही थी। साइक्स ऐंड रे इक्विटीज पीएमएस के फंड मैनेजर नितेश चंद की राय है कि पूरी दुनिया के बाजार अपने शिखरों से 10-15% तक नीचे आ चुके हैं और गिरावट अपेक्षाओं के अनुसार ही है। अपने समकक्ष बाजारों के साथ तालमेल बिठाने के बाद हमारा बाजार धीरे-धीरे उनसे बेहतर चाल दिखाना शुरू करेगा।
पर्पललाइन एडवाइजर्स के सीईओ पी. के. अग्रवाल के अनुसार इस साल की पहली छमाही में एक बड़ी गिरावट आने की संभावना बनी हुई थी। बाजार की यह प्रकृति है कि वह नीचे जाने के बहाने खोजता है और हिंडेनबर्ग रिपोर्ट ऐसा ही एक बहाना है। स्किलट्रैक कंसल्टेंसी के निदेशक सुनील मिंगलानी इसे 5-8 साल की तेजी के दौर के बीच आने वाली एक सामान्य गिरावट मानते हैं।
बाजार विश्लेषक अरविंद पृथी का कहना है कि बाजार में हद से ज्यादा खरीदारी (ओवरबॉट) की स्थिति बनी हुई थी और एक गिरावट आनी बाकी थी। इस गिरावट का सबसे ज्यादा असर मँझोले शेयरों (मिडकैप) पर पड़ा है। मैं इस गिरावट में निश्चित रूप से खरीदारी की ओर देखूँगा।
तकनीकी रूप से महत्वपूर्ण समर्थन स्तर टूटते दिखे हैं। आईसीआईसीआई डायरेक्ट के रिसर्च प्रमुख पंकज पांडेय कहते हैं कि छोटी अवधि के समर्थन स्तर टूटे हैं और निफ्टी के लिए 17,300-17,500 के स्तरों पर नजर रखनी होगी।
तकनीकी विश्लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि बाजार में तकनीकी स्तर टूट चुके हैं और अब रुझान नीचे की ओर बन गया है। अब यह निकट से छोटी अवधि में वापसी (रिट्रेसमेंट) के स्तरों की ओर बढ़ सकता है। चार्ट पर 38.2% वापसी 17,455, 50% वापसी 17,020 और 61.8% वापसी 16,586 के स्तर पर है। हितेंद्र की राय है कि बजट से जुड़े उतार-चढ़ाव में यदि वापसी के ये स्तर आ जाते हैं तो यह इंडेक्स में या ईटीएफ के माध्यम से खरीदारी करने का अच्छा समय होगा।
पर निवेशकों के लिए सबसे बड़ा सवाल है कि अभी उन्हें करना क्या चाहिए? ब्लू ओशन कैपिटल के संस्थापक-सीईओ निपुण मेहता की राय है कि निवेशकों को घबराना नहीं चाहिए, पर साथ ही बहुत आक्रामक भी नहीं होना चाहिए। उनके अनुसार यह छोटी मात्राओं में खरीदारी करने का अवसर है। फिनेथिक वेल्थ सर्विसेज के निदेशक विवेक नेगी का भी कहना है कि अदाणी समूह पर नकारात्मक रिपोर्ट के कारण घबराहट वाली बिकवाली उभरी है। वहीं एफआईआई बजट से पहले अपने सौदों को हल्का कर रहे हैं। पर उनका कहना है कि अभी गिरावटों पर खरीदारी करने की रणनीति पर चलना चाहिए। (शेयर मंथन, 27 जनवरी 2023)