काली अर्थव्यवस्था सिकुड़ने से होगा फायदा

vijay chopraविजय चोपड़ा
एमडी एवं सीईओ, इनोच वेंचर्स
म्यूचुअल फंडों के बढ़ते एयूएम और बाजार में निवेशकों का फिर से लौटना बाजार के लिए सकारात्मक पहलू हैं।

भारत उन चुनिंदा देशों में से एक है जहाँ 7% से अधिक विकास दर है, लिहाजा विदेशी पोर्टफोलिओ निवेशक भारत को लेकर उत्साहित हैं। काले धन की अर्थव्यवस्था सिकुड़ रही है और ज्यादा ऑनलाइन लेन-देन की वजह से कर संग्रह ज्यादा होगा। इसके अलावा कम खाद्य महँगाई, उपभोग का निरंतर जारी रहना और ब्याज दरों का घटना बाजार के लिए सकारात्मक कारक हैं। हालाँकि कच्चे तेल और कमोडिटी की कीमतें बढ़ना, डॉलर में मजबूती, नोटबंदी के बाद एसएमई उद्यमों की स्थिरता, अमेरिकी व्यापार नीति, जीएसटी के बिना व्यवधान लागू होने और नोटबंदी के चलते आगामी दो तिमाहियों में उपभोग पर बुरा असर पड़ने जैसे बातों को लेकर चिंता है।
नोटबंदी के चलते दो तिमाहियों तक कंपनियों की आय कमजोर रहेगी, लेकिन अंततः बाजार पर इसका अच्छा असर होगा क्योंकि पारदर्शिता बढ़ेगी और समानांतर चलने वाली अर्थव्यवस्था घटेगी। संगठित बाजार और कर संग्रह में वृद्धि होगी, जिससे बुनियादी ढाँचा, शिक्षा, बिजली, प्रौद्योगिकी आदि में अधिक पैसा लग सकेगा। आईटी कंपनियों को घरेलू बाजार से ज्यादा ऑर्डर मिलेंगे और देश में डिजिटल विभाजन ध्वस्त होगा। इसलिए आईटी क्षेत्र की मँझोली और बड़ी कंपनियों का प्रदर्शन अच्छा रहना चाहिए। रक्षा व्यय में भी वृद्धि हो सकती है, लिहाजा रक्षा से जुड़ी कंपनियों के शेयर अच्छा करेंगे।
साल 2017 में रक्षा, बुनियादी ढाँचा, एनबीएफसी और खाद क्षेत्र बाजार से तेज रहेंगे। दूसरी ओर रियल एस्टेट, हाउसिंग और टेलीकॉम क्षेत्र धीमे लगते हैं। इस साल के लिए मेरे पाँच सबसे पसंदीदा नाम हैं बीईएमएल, पीईएल, टाटा एलेक्सी, भारत फाइनेंशियल इन्क्लूजन और आईडीएफसी। (शेयर मंथन, 03 जनवरी 2017)