सरकार का आरईसी को डीएफआई का दर्जा देने पर विचार

पावर सेक्टर को फाइनेंस मुहैया कराने वाली सरकारी कंपनी आरईसी (REC) के मुताबिक सरकार इस प्रस्ताव पर विचार कर रही है कि कंपनी को डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूशन (DFI) का दर्जा दिया जाए।

 आपको बता दें कि आरईसी (REC) यानी रुरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन पावर मंत्रालय के तहत काम करती है। सरकार आरईसी को डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूशन (DFI) के तौर पर मान्यता देने पर विचार कर रही है। सरकार के इस पहल का मकसद आरईसी को वैश्विक स्तर पर जलवायु फंडिंग के लिए प्रोत्साहित करना है। साथ ही देश में नेट जीरो के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देना भी है। 16 सितंबर को हुए कंपनी के एजीएम (AGM) यानी सालाना आम बैठक में निवेशकों ने अध्यक्ष विवेक कुमार देवांगन की योजनाओं से काफी खुश हुए जिसमें कंपनी के भविष्य के ऊर्जा के साथ तकनीक को फंडिंग करने की बात कही गई है। एक अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2050 तक नेट जीरो अर्थव्यवस्था के लिए करीब 3.5 लाख करोड़ डॉलर रकम की आवश्यकता पड़ेगी। वहीं इस रकम के वित्त वर्ष 2070 तक 10 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। इसमें बड़े स्तर पर पावर सेक्टर में होने वाले सुधार के लिए रकम की जरुरत पड़ेगी। डीएफआई (DFI) के तौर पर आरईसी की भूमिका एंड टू एंड फंड जरुरतों का आकलन करेगी। साथ ही प्रोजेक्ट के लिए कम पड़ रहे फंड के लिए बड़े स्तर पर मोबिलाइजेशन का काम करेगी। इसके अलावा कंपनी पर फंड के इस्तेमाल की निगरानी भी होगी। कंपनी डीएफआई के तौर पर मान्यता हासिल करने के सरकार के प्रस्ताव पर सटीक बैठती है। कंपनी के सालाना आम बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि कंपनी के पास विशेषज्ञों की बेहतर टीम के साथ उसे पूरा करने की क्षमता भी है। आरईसी (REC) का गठन 1969 में किया गया था। इसका गठन एक नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NBFCs) के तौर पर हुआ था। इसका मकसद देशभर में पावर सेक्टर से जुड़े प्रोजेक्ट को वित्तीय मदद पहुंचाना था। यह राज्यों के इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड, राज्य सरकार,राज्य की पावर कंपनियों, स्वतंत्र पावर उत्पादन करने वाली कंपनियां, ग्रामीण इलेक्ट्रिक को-ऑपरेटिव और निजी क्षेत्र की पावर कंपनियों को वित्तीय मदद पहुंचाती है।
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(शेयर मंथन, 19 सितंबर 2022 )