विशेषज्ञ से जानें मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों का विश्लेषण, निवेशकों को अगली रणनीति क्या अपनानी चाहिए?

ट्रंप नीतियों और भू-राजनीतिक तनाव के बीच निवेशकों को कहां मिलेगा स्थायित्व? आइए, बाजार विश्लेषक शोमेश कुमार से जानते हैं कि मिडकैप–स्मॉलकैप में आगे क्या होने की संभावना है?

बाजार विश्लेषक शोमेश कुमार का कहना है कि वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में निवेशकों की भावनाएँ (Sentiment) बेहद कमजोर दिखाई दे रही हैं। भू-राजनीतिक अस्थिरता, व्यापारिक दबाव और अमेरिका सहित कई देशों की बदलती नीतियाँ शेयर बाजारों में अस्थिरता बढ़ा रही हैं। खासकर ट्रंप प्रशासन की “मेक इन यूएसए” और उत्पादन वापस लाने जैसी नीतियाँ भारतीय कंपनियों के लिए नए अवसर और चुनौतियाँ दोनों खड़ी कर रही हैं। निवेशकों के लिए यह समझना जरूरी है कि यह अस्थिरता कुछ समय तक जारी रहेगी और इसका असर बाज़ार के हर स्तर पर दिख सकता है।  मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में इस समय उतार-चढ़ाव अधिक है। घरेलू मांग-आधारित क्षेत्रों में निवेश पर ध्यान केंद्रित करना अधिक सुरक्षित हो सकता है। निवेशकों को चाहिए कि वे हर सकारात्मक परिस्थिति में भी जोखिम प्रबंधन को प्राथमिकता दें। भावनाओं में बहकर त्वरित खरीद-बिक्री करने के बजाय दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाएँ। घरेलू खपत और विकास-उन्मुख क्षेत्रों में निवेश से अगले कुछ वर्षों में अच्छे रिटर्न मिलने की संभावना है।


(शेयर मंथन, 29 सितंबर 2025)

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