सेंसेक्स ईपीएस घट कर 750 रुपये होगी: ऐंबिट कैपिटल

ऐंबिट कैपिटल ने सेंसेक्स की प्रति शेयर आय (ईपीएस) बाजार के औसत अनुमानों की तुलना में काफी कम रहने का अंदेशा जताया है। इसके डायरेक्टर (रिसर्च) आर मुरली कृष्णन की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि सेंसेक्स की सालाना ईपीएस कारोबारी साल 2008-09 में 856 रुपये से घट कर 800 रुपये रह जायेगी, जबकि इस अवधि के लिए बाजार का औसत अनुमान 993 रुपये का है। इसी तरह कारोबारी साल 2009-10 के लिए ऐंबिट ने सेंसेक्स की ईपीएस और भी घट कर 750 रुपये रह जाने का आकलन किया है, जबकि इस अवधि के लिए बाजार का औसत अनुमान 1075 रुपये का है।

इस तरह ऐंबिट ने सेंसेक्स की ईपीएस 2008-09 में 6.5% घटने का अनुमान रखा है, जबकि बाजार का औसत अनुमान 16% बढ़ोतरी का है। वहीं 2009-10 में ऐंबिट का आकलन सेंसेक्स ईपीएस 6.25% घटने का है, जबकि बाजार के औसत अनुमान के मुताबिक इस दौरान 8.25% की बढ़त होने की संभावना रहेगी।

अपने इस आकलन की वजह से ऐंबिट कैपिटल ने अगले 12 महीनों में भारतीय शेयर बाजार की दिशा नकारात्मक ही रहने का अनुमान जताया है। ऊँची ब्याज दरों और घटती खपत के चलते ऐंबिट का मानना है कि कमोडिटी भाव और घटेंगे और इससे कंपनियों की आमदनी पर भी दबाव बनेगा। इन स्थितियों में ऐंबिट का मानना है कि भारत की विकास दर 2009-10 में घट कर केवल 4.5% रह जायेगी। साथ ही कॉर्पोरेट प्रशासन से जुड़े मुद्दों के चलते जोखिम से बचने का रुझान और आने वाले चुनाव भी ऐसे प्रमुख कारण हैं, जिनकी वजह से ऐंबिट ने भारतीय शेयर बाजार के बारे में यह नकारात्मक धारणा बनायी है।

ऐंबिट का कहना है कि विकास के तीनों प्रमुख इंजन - खपत, निर्यात और औद्योगिक उत्पादन धीमे पड़ चुके हैं। इस कारोबारी साल के ज्यादातर हिस्से में कर्ज की कमी, ऊँची ब्याज दरों और ऊँची महँगाई दर रहने का असर अगली छह तिमाहियों तक कंपनियों की आमदनी पर दिखता रहेगा। दुनिया भर में कमोडिटी भावों का चक्र नीचे आने और पूँजीगत खर्चों में धीमापन आने के चलते यह असर और गहरा हो जायेगा।

हाल के सत्यम घोटाले की ओर इशारा करते हुए ऐंबिट का कहना है कि अन्य क्षेत्रों में भी, खास तौर पर रियल एस्टेट और कंस्ट्रक्शन को लेकर अब वह काफी सावधानी बरत रही है। मुंबई स्थित यह फर्म उन क्षेत्रों को लेकर भी सावधानी बरत रही है, जिन पर अंतरराष्ट्रीय बाजार के चक्र का असर पड़ता है। इसकी सलाह है कि निवेशकों को ऑटो पुर्जा, सीमेंट, वित्तीय क्षेत्र, धातु, रियल एस्टेट/कंस्ट्रक्शन, टेक्सटाइल और सॉफ्टवेयर क्षेत्रों में अपना निवेश घटाना चाहिए।लेकिन जिन क्षेत्रों में घरेलू खपत काफी मजबूत बनी हुई है, उनके बारे में इसका नजरिया सकारात्मक है। इनमें कंज्यूमर नॉन-ड्यूरेबल (यानी एफएमसीजी), टेलीकॉम, फार्मा और यूटिलिटी शामिल हैं। ऑटोमोबाइल और कैपिटल गुड्स क्षेत्रों के बारे में इसने फिलहाल उदासीन नजरिया अपनाया है।