खराब क्वालिटी, घटिया पैकेजिंग के कारण दवा कंपनियों ने लिया रीकॉल का फैसला

 देश की चार दिग्गज कंपनियों ने दवा रीकॉल करने का ऐलान किया है। इन कंपनियों ने अमेरिका में दवा रीकॉल का फैसला लिया है।

 इन दवा कंपनियों में ग्लेनमार्क फार्मा, सन फार्मा, डॉ रेड्डीज और जुबिलेंट कैडिस्टा कई दवाओं के रीकॉल का फैसला अमेरिका बाजार के लिए लिया है। कंपनियों ने यह फैसला कई कारणों के चलते लिया है। अमेरिकी ड्रग रेगुलेटर यूएसएफडीए (USFDA) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई आधारित दवा कंपनी ग्लेनमार्क फार्मा ने 6.5 लाख ट्यूब को वापस लेने का फैसला लिया है। इस दवा का इस्तेमाल त्वचा से जुड़ी बीमारी के लिए किया जाता है। कंपनी ने रीकॉल का फैसला उत्पादन में आई गड़बड़ियों के कारण लिया है। कंपनी की अमेरिकी सब्सिडियरी ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिक्ल इंक ने टैकरोलिमस को त्रुटिपूर्ण कंटेनर के कारण रीकॉल का फैसला लिया है। कंपनी ने राष्ट्रीय स्तर पर 11 जुलाई को क्लास-III स्तर का रीकॉल किया है। दवा का प्रभावित लॉट भारत में उत्पादित किया गया था। यूएसएफडीए की रिपोर्ट के मुताबिक क्लास-III रीकॉल वैसे उत्पादों के लिए किया जाता है जिनका स्वास्थ्य पर बुरा असर देखने को नहीं मिलता है। यूएसएफडीए के मुताबिक सन फार्मा ने मिर्गी के इलाज में इस्तेमाल आने दवा के 9,552 बोतल के रीकॉल का फैसला लिया है। मिर्गी की यह दवा डिवालप्रोएक्स सोडियम डिलेड रिलीज है। रीकॉल का फैसला डिजॉल्यूशन सिम्लीफिकेशन में असफल होने के कारण लिया है। इस दवा का उत्पादन कंपनी के गुजरात के हलोल इकाई में किया गया है। कंपनी ने 27 जून को क्लास-II के तहत रीकॉल का फैसला लिया है। इसी तरह डॉ रेड्डीज की अमेरिकी सब्सिडियरी ने लैंसोप्राजोल की 5,531 कार्टून दवा को रीकॉल करने का फैसला लिया है। यह दवा दो अलग-अलग क्षमताओं में उपलब्ध है। कंपनी ने रीकॉल का फैसला डिजॉल्यूशन सिम्लीफिकेशन में असफल होने के कारण लिया है। न्यू जर्सी स्थित इस कंपनी ने 13 जुलाई को राष्ट्रीय स्तर पर क्लास-II के तहत रीकॉल का फैसला लिया है। इसके अलावा जुबिलेंट कैडिस्टा ने Irbesartan (इरबेसारटन) दवा के 38,160 बोतल के रीकॉल का फैसला लिया है। यह दवा 150 मिलीग्राम और 75 मिलीग्राम क्षमता में उपलब्ध है। इस दवा का इस्तेमाल उच्च रक्त चाप (दबाव) के इलाज में किया जाता है। इस दवा का उत्पादन रुड़की इकाई में किया जाता है। कंपनी ने क्लास-II के तहत रीकॉल का फैसला 18 जुलाई को लिया है। क्लास-II के तहत रीकॉल किए गए दवाइयों के इस्तेमाल से अस्थायी तौर पर असर होता है।साथ ही सही इलाज करने पर दवा के असर को खत्म किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में दवा का बहुत बुरा असर पड़ने की संभावना नहीं के बराबर रहती है। अमेरिका में जेनरिक दवाओं का बाजार 2019 में करीब 11520 करोड़ डॉलर है जो कि विश्व का दवा के हिसाब से सबसे बड़ा बाजार है। पिछले वित्त वर्ष में भारत ने करीब 2462 करोड़ डॉलर के दवा का निर्यात किया है। भारत से दवा निर्यात किए जाने वाले देशों में अमेरिका, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका, रूस और नाइजीरिया जैसे पांच मुख्य देश शामिल हैं।  

(शेयर मंथन 15 अगस्त, 2022)