अनुमानों के मुताबिक रही आरबीआई (RBI) की मौद्रिक नीति (Monetary Policy), छोटी अवधि में बढ़ेंगे यील्ड

अभीक बरुआ, मुख्य अर्थशास्त्री, एचडीएफसी बैंक
हमारे अनुमानों के अनुरूप ही भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपना मौद्रिक रुख उदार (accommodative) रखा है और आज घोषित अपनी मौद्रिक नीति (monetary policy) में दरों में कोई बदलाव नहीं किया है।

आरबीआई ने तरलता (liquidity) और मौद्रिक नीति से समर्थन पर एक नपा-तुला और धैर्यवान नजरिया अपनाया है, और यह बात मानी है कि अभी भी विकास दर नीचे फिसलने के खतरे बने हुए हैं। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 9.5% विकास दर का अनुमान बनाये रखा है और खाद्य महँगाई दर की चाल अपेक्षाओं से नीचे रहने के चलते महँगाई दर के अनुमान को 5.7% से घटा कर 5.3% कर दिया है।
तरलता के संदर्भ में केंद्रीय बैंक ने सरकार के बॉन्ड खरीद कार्यक्रम (जीएसएपी) को स्थगित कर दिया है और वीआरआरआर की सीमा को दिसंबर 2021 तक 6 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाने का एक कैलेंडर उपलब्ध कराया है। इसे तरलता को सामान्य बनाने की दिशा में उठाया गया कदम माना जा सकता है, पर इसमें कुछ और भी बातें निहित हैं। वीआरआरआर की सीमा का विस्तार करना कम अवधि वाली जमाओं के लिए एक स्वैच्छिक रास्ता खोलता है। वहीं जीएसएपी कार्यक्रम को रोकने का मतलब यह है कि बैंकिंग प्रणाली में और अधिक तरलता नहीं डाली जायेगी। यह संभवतः अपेक्षित भी था, क्योंकि व्यवस्था में तरलता पहले ही 9 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुकी है। आरबीआई ने यह भी प्रतिबद्धता जतायी है कि यदि आवश्यकता हुई तो वह अपनी अन्य गतिविधियों के माध्यम से पर्याप्त तरलता उपलब्ध कराना जारी रखेगा।
छोटी अवधि में जहाँ यील्ड बढ़ सकते हैं, हमारा अनुमान है कि ये बहुत ज्यादा नहीं बढ़ सकेंगे, क्योंकि यदि यील्ड सहनीय स्तरों से ऊपर चले जायें तो आरबीआई खुले बाजार की गतिविधियों (ओएमओ) और ऑपरेशन ट्विस्ट के माध्यम से दखल देता रहेगा। तेल की कीमतें बढ़ रही हैं और अमेरिका में यील्ड का दबाव ऊपर की ओर है। भारत में घरेलू राजकोषीय (फिस्कल) दबाव कम है और साथ ही आरबीआई यील्ड पर अंकुश रखने के उपाय करता रहेगा। इन स्थितियों में हम 2021-22 की तीसरी तिमाही में 10 वर्ष के प्रपत्र का यील्ड 6.20-6.30% के बीच बने रहने की आशा करते हैं। (Abheek Barua, Chief Economist, HDFC Bank)
(शेयर मंथन, 8 अक्टूबर 2021)