यूरोप-अमेरिका गिरे, एशिया में भी लाली

नेशनल ब्यूरो ऑफ इकानॉमिक रिसर्च ने यह घोषणा कर सोमवार को अमेरिका के शेयर बाजारों को सकते में डाल दिया कि दिसंबर 2007 से ही अमेरिका मंदी के चपेट में है। बयान की वजह से न केवल पिछले पांच कारोबारी दिनों से चल रही डॉव जोंस की मजबूती का क्रम खत्म हुआ, बल्कि इसने यह संकेत भी दे दिया कि पिछले सप्ताह की मजबूती बाजार को स्थिरता की ओर नहीं ले जा रही थी।

इस बीच खराब खबरों के आने का सिलसिला जारी रहा और इसने बाजार की बढ़ती निराशा को चरम पर पहुंचाने का काम किया। वाणिज्य विभाग ने सोमवार को कहा कि कंस्ट्रक्शन पर होने वाले खर्च में अक्टूबर महीने में अनुमान से अधिक गिरावट आयी। दूसरी ओर इंस्टीट्यूट ऑफ सप्लाई मैनेजमेंट ने कहा कि इसका औद्योगिक उत्पादन सूचकांक नवंबर महीने में अपने 26 साल के सबसे निचले स्तर पर चला गया। ऐसे आंकड़े एनबीईआर के बयान की पुष्टि करते नजर आये, जिससे निवेशकों की निराशा बढ़ी और वे बिकवाली करने में लग गये। ऐसे हालात में नाइमेक्स में कच्चे तेल का भाव 5.15 डॉलर लुढ़क कर 49.28 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ। यूरोप में एफटीएसई 100, डैक्स और कैक 40 में 5-6% की गिरावट रही। मंगलवार की सुबह एशियाई बाजारों में भारी गिरावट दिख रही है। भारतीय समयानुसार सुबह 8.05 बजे हैंग सेंग, ताइवान वेटेड, जकार्ता कंपोजिट और निक्केई में 3-4.5% की कमजोरी है। स्ट्रेट टाइम्स, शंघाई कंपोजिट और कॉस्पी की गिरावट 1.5-2.5% के बीच है।