स्वर्ण आभूषण के बदले कर्ज के नियमों में बदलाव

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने विभिन्न गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं (NBFC) द्वारा स्वर्ण आभूषण गिरवी रख कर दिये जाने वाले कर्ज से संबंधित नियमों में बदलाव की घोषणा की है।
आरबीआई ने इससे संबंधित कर्ज-मूल्य अनुपात (Loan-to-Value ratio) को मौजूदा 60% को तत्काल प्रभाव से बढ़ा कर 75% तक करने का निर्णय लिया है। इस अनुपात से यह तय होता है कि आभूषण को गिरवी रखने वाले ग्राहक को अपने आभूषण के बदले कितना कर्ज मिल सकता है। इस बदलाव का मतलब यह हुआ कि यदि ग्राहक द्वारा गिरवी रखे जाने वाले आभूषण का मूल्य 100 रुपये तय होता है तो उसे अब 75 रुपये तक की राशि बतौर कर्ज मिल सकती है। 
आरबीआई का मानना है कि सोने का मूल्य तय करते समय कुछ एनबीएफसी द्वारा उस आभूषण के मेकिंग चार्ज आदि को भी शामिल किया जाता है। ऐसे में आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि कर्ज आवंटन के उद्देश्य से मूल्यांकन करते समय केवल सोने के अंतर्निहित मूल्य के आधार पर ही निर्णय लिया जाना चाहिए, अन्य किसी लागत को इसमें शामिल नहीं किया जाना चाहिए। 
आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया है कि सोने की शुद्धता से संबंधित प्रमाण पत्र दिया जाना अब भी अनिवार्य होगा। इस मामले में विभिन्न एनबीएफसी ने कहा था कि मौजूदा स्थितियों में केवल यही तय किया जा सकता है कि गिरवी रखा जाने वाला सोना लगभग कितना शुद्ध है। ऐसे में इस तरह का प्रमाण पत्र देने से विवाद उत्पन्न हो सकते हैं। 
उन आभूषणों के बारे में रसीद पेश कर मालिकाना साबित कर पाना संभव नहीं होता जो लोगों को पिछली पीढ़ियों से हासिल होते हैं। ऐसे में आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि गिरवी रखे जाने वाले आभूषणों का मालिकाना असली रसीदों के जरिये साबित करना जरूरी नहीं है। इसके लिए एक उचित दस्तावेज तैयार कराया जा सकता है। (शेयर मंथन, 09 जनवरी 2014)