चुनावी वादे पूरे करने हैं तो संसाधन ही जुटाने होंगे : मोतीलाल ओसवाल (Motilal Oswal)

अगले महीने 10 तारीख को पेश होने वाले बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली को क्या-क्या करना चाहिए, यह एकदम स्पष्ट है।

सबसे पहले सरकार को पर्याप्त संसाधन जुटाने के उपाय करने होंगे। सरकारी खजाना पूरी तरह से खाली है। अगर सरकार भाजपा के चुनावी घोषणा-पत्र में किये गये वादों का थोडा हिस्सा भी पूरा करना चाहती है, तो इसके लिए संसाधनों को जुटाना काफी अहम है। इसलिए रक्षा क्षेत्र में 100% एफडीआई की इजाजत, बीमा में 49% एफडीआई, विदेशी निवेशकों के लिए ऋण (डेट) में निवेश की सीमा बढाना, बुनियादी ढाँचे में भारी निवेश को प्रोत्साहन, सस्ते मकान और टाउनशिप, एसयूयूटीआई हिस्सेदारी और सरकारी कंपनियों में  विनिवेश और वीडीआईएस-97 जैसी कर-माफी योजना वगैरह की उम्मीद इस बार के बजट में की जा सकती है।

राजकोषीय घाटे पर अंकुश लगाना सरकार के लिए बडी चुनौती है, जिसके लिए तुरंत कदम उठाने होंगे। सरकार को कुछ कठोर फैसले करने पड़ सकते हैं। डीजल पर पूरी तरह से और रसोई गैस एवं केरोसिन पर आंशिक रूप से सब्सिडी में कटौती करने की जरूरत है। खाद, खास कर यूरिया पर दी जाने वाली सब्सिडी को भी तार्किक बनाना होगा।

महँगाई पर अंकुश लगाने में छोटी अवधि में ज्यादा कामयाबी मिलने की उम्मीद नहीं है, खास कर इसलिए कि मानसून कमजोर रहने वाला है। लेकिन अगर गैर-योजनागत खर्च को कम-से-कम रखा जाता है तो राजकोषीय घाटे को एफआरबीएम ऐक्ट में तय सीमा तक रोका जा सकता है। अगर बॉण्ड मार्केट को यह संकेत मिलता है कि लंबी अवधि में इन उपायों से मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाना मुमकिन है तो लंबी अवधि की ब्याज दरों में स्थिरता रहेगी। इससे अर्थव्यवस्था के लिए आगे का रास्ता आसान होगा।

मोतीलाल ओसवालसीएमडीमोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज (Motilal Oswal, CMD, Motilal Oswal Financial Services) (शेयर मंथन, 24 जून 2014)