आम बजट पर लोग बोले

वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) का आम बजट पेश होने के बाद लोगों के बीच कैसी सोच बनी, यह बड़ी आसानी से फेसबुक जैसी वेबसाइटों पर लोगों की टिप्पणियों में देखा जा सकता है।

आशुतोष कुमार सिंह : नि:शुल्क औषधि व नि:शुल्क निदान सेवा सरकार शुरू करने जा रही है, इस बात का खुलासा बजट भाषण में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किया है... सरकार के इस फैसले का स्वागत करता हूँ, अगर इस मसले पर वित्त मंत्री और विस्तार से बताते तो उनकी योजना समझने सहुलियत होती...

भारती ओझा : मेरे विचार से सिगरेट, तम्बाकू, पान मसाले, गुटखें, शराब और कोल्ड्ड्रिंक्स पर और ज्यादा टैक्स लगाने की जरुरत थी। इन नशे की चीजों का सफाया देश से हो जाना चाहिए। संतुलित बजट के लिए, नमामि गंगा प्रोजेक्ट के लिए, पूर्वांचल के राज्यों पर पहली बार विस्तार से ध्यान देने के लिए, दवाइयाँ सस्ती करने के लिए, थोड़ी ही सही पर सेलरी पर टैक्स सीमा बढ़ाये जाने हेतु बीजेपी सरकार को बधाई।

बीके मनीष : मध्यम वर्ग के लोगों को आयकर में छूट को लेकर अरुण जेटली से बहुत उम्मीदें थी, लेकिन वित्त मंत्री उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सके। बजट में टैक्स सिस्टम में कोई बदलाव नहीं किया गया है। आयकर में छूट का दायरा दो लाख से बढ़ा कर 2.5 लाख रुपये कर दिया गया है। हालाँकि लोग इसे कम से कम तीन लाख रुपये करने के बारे में सोच रहे थे। वरिष्ठ नागरिकों के लिए टैक्स छूट की सीमा 2.5 लाख से बढ़ा कर तीन लाख रुपये कर दिया गया है।

सुशांत झा : बिजली उत्पादन और वितरण में 10 साल का टैक्स होलीडे। बढिया बात। लेकिन एक नियम बनाइये कि 3-4 साल में एक बार दाम बढ़े और मीटर तेज न भागे। इधर सुना है कि एक किसान चैनल लांच होगा-लेकिन उसमें कोई ऐसा पत्रकार न हेड बन जाए जो कहे कि धान पेड़ पर पैदा होता है।(मने कह रहे हैं)

आशीष महर्षि : समझ में ही नहीं आया कि‍ मोदी का बजट था या मनमोहन का?

समर आर्यान : सिगरेट फिर मँहगी, जेएनयू वालों के खिलाफ एक और महीन कदम।

देवेंद्र यादव : नयी सरकार का पहला बजट विकास की आढ़ लेते हुए आम आदमी के लिए रक्त पिपासु बनकर आता है। जबकि मलाई खाने का सुनहरा मौका औद्योगिक घरानों और कंपनियों को मिलता है। IT में छूट की उम्मीद रखने वाले नौकरी पेशा लोग तो खामखाँ मुगालते में रहते हैं कि उन्हें राहत मिलेगी। अरे! यही वे लोग हैं जिनकी कमाई जगजाहिर है और लेते समय बेचारे "चीं" तक नही बोल पाते।जिनकी अकूत कमाई अवैधानिक व्यावसायिक साधनों से आती है, इन्कम टैक्स की चोरी वही लोग सबसे ज्यादा करते हैं।

संजय बेनगानी : पहले समझ आता है कि बजट महारानी के लिए होता था तो अंग्रेजी में पढ़ना मजबूरी थी। अब तो रहम करो। पता नहीं कब कोई ज्ञानी वित्तमंत्री हिन्दी में 'अर्थ-संकल्प' रखेगा।

(शेयर मंथन, 10 जुलाई 2014)