अक्टूबर समाप्ति बजट अनुमान का 96% रहा राजकोषीय घाटा

अक्टूबर 2017 की समाप्ति पर भारत का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2017-18 के बजट अनुमान के 96.1% पर पहुँच गया।

राजकोषीय घाटे में इतनी बढ़त कम आमदनी और व्यय में बढ़ोतरी के कारण हुई है। सीजीए (महालेखा-नियंत्रक) के आँकड़ों के मुताबिक, निरपेक्ष पदों में राजकोषीय घाटा, यानी आमदनी और व्यय का अंतर, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान 5.25 लाख करोड़ रुपये रहा। पिछले कारोबारी साल की समान अवधि में यह घाटा लक्ष्य का 79.3% रहा था। वित्त वर्ष 2017-18 के लिए सरकार ने राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.2% तक लाने का लक्ष्य रखा है, जो पिछले कारोबारी साल में 3.5% था।
सीजीए आँकड़ों के अनुसार अप्रैल से अक्टूबर तक सरकार की आमदनी 7.29 लाख करोड़ रुपये रही, जो कि पूरे साल के बजट अनुमान (15.15 लाख करोड़ रुपये) के मुकाबले 48.1% है। वहीं सरकार का कुल खर्च अक्टूबर समाप्ति तक 12.92 लाख करोड़ रुपये रहा, जो कुल बजट अनुमान का 60.2% है। पूँजीगत व्यय इस अवधि में बजट अनुमान के 52.6% रहे, जो पिछले साल समान अवधि में 50.7% थे। वहीं ब्याज भुगतान सहित राजस्व व्यय बजट अनुमान के 61.5% रहे, जो पिछले साल अप्रैल-अक्टूबर में 59.2% थे। (शेयर मंथन, 30 नवंबर 2017)