RBI ने रेपो रेट में नहीं किया बदलाव, महंगाई पर फोकस बरकरार

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांता दास ने आज मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक के फैसले का ऐलान किया। शक्तिकांता दास ने FY25 की पहली मॉनेटरी पॉलिसी का ऐलान करते हुए कहा कि ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

 ऐसा लगातार सातवीं बार हुआ है जब ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। रेपो रेट 6.50% पर बरकरार है वहीं MSF रेट भी 6.75% पर स्थिर है। MPC के 6 में से 5 सदस्य दरों में बदलाव के पक्ष में नहीं थे। वहीं अकोमोमोडेटिव रुख वापसी के पक्ष में MPC के 6 में से 5 सदस्य सहमत थे। आरबीआई (RBI) के मुताबिक महंगाई दर में कमी देखने को मिली है, हालाकि महंगाई को लेकर RBI अभी भी सतर्क है। खाद्य कीमतों में अनिश्चितता के कारण महंगाई बढ़ने का डर बना हुआ है। जहां तक वैश्विक स्तर पर महंगाई दर लक्ष्य के करीब पहुंच गई है। अमेरिका में बॉन्ड यील्ड, डॉलर में उतार-चढ़ाव जारी है। गवर्नर ने दुनियाभर की अर्थव्यवस्था में बढ़ते कर्ज पर चिंता जताई है। पब्लिक डेट मैनेजमेंट के मोर्चे पर भारत का प्रदर्शन बेहतर रहा है। फरवरी और मार्च में मैन्युफैक्चरिंग PMI में बढ़ोतरी देखने को मिली है। आरबीआई के मुताबिक ग्रामीण मांग में सुधार से FY25 में अर्थव्यवस्था के बेहतर रहने का अनुमान है। मॉनसून के सामान्य रहने के अनुमान से कृषि क्षेत्र का आउटलुक बेहतर रहने की उम्मीद है। महंगाई में कमी से निजी खपत में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।

जहां तक सकल घरेलू वृद्धि का सवाल है तो FY25 में GDP ग्रोथ 7% रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में GDP ग्रोथ 7.2% से घटकर 7.1% रहने का अनुमान है। दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ अनुमान 6.8% से बढ़कर 6.9% रहने का अनुमान लगाया गया है। तीसरी तिमाही में GDP ग्रोथ अनुमान 7% पर बरकरार रहने का अनुमान है। चौथी तिमाही में
GDP ग्रोथ अनुमान 6.9% से बढ़ाकर 7% किया गया है। वित्त वर्ष 2025 में महंगाई दर अनुमान 4.5% पर बरकरार रखा है। पहली तिमाही में महंगाई दर के 5% से घटकर 4.9% होने का अनुमान है। वहीं दूसरी तिमाही में महंगाई दर 4% से घटकर 3.8% रहने का अनुमान है। तीसरी तिमाही में महंगाई दर के 4.6% पर बरकरार रहने का अनुमान है। जहां तक चौथी तिमाही में महंगाई दर का सवाल है तो यह 4.7% से घटकर 4.5% रहने की उम्मीद जताई गई है।

गवर्नर शक्तिकांता दास ने कहा कि MPC का प्राइस स्टेबिलिटी पर फोकस है। फरवरी-मार्च में लिक्विडिटी की स्थिति बेहतर रही है। मार्च अंत से लिक्विडिटी सरप्लस हो गई है।
उभरती अर्थव्यवस्था की तुलना में रुपए में कम उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। पिछले 3 साल के मुकाबले FY24 में रुपए में कम उतार-चढ़ाव रहा। आरबीआई ने फाइनेंशियल कंपनियों को पब्लिक मनी का ध्यान देने की सलाह दी है। साथ ही उन्होंने बैंक, NBFCs को कॉरपोरेट गवर्नेंस को प्राथमिकता देने को कहा है। साथ हीं कंप्लायंस का बोझ घटाने की सलाह भी दी है।
शक्तिकांता दास ने कहा कि रेगुलेशन को आसान बनाने के लिए संबंधित पक्षों से बातचीत जारी है।
वहीं FY25 में चालू खाता घाटा यानी सीएडी (CAD) को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। फॉरेक्स रिजर्व के मोर्चे पर भारत का प्रदर्शन बेहतर है। फॉरेक्स रिजर्व 64,560 करोड़ डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। भारतीय रिजर्व बैंक का फॉरेक्स रिजर्व का मजबूत बफर बनाने पर फोकस जारी है। आरबीआई ने कहा कि IFSC में सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड की ट्रेडिंग स्कीम पर जल्द नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। RBI ने कहा कि LCR यानी लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो (एलसीआर) फ्रेमवर्क की समीक्षा की जाएगी। बैंकों के LCR रिवीजन पर ड्राफ्ट सर्कुलर जल्द जारी किया जाएगा। गिल्ट के जरिए निवेश के लिए मोबाइल एप लॉन्च किया जाएगा। RBI का रिटेल डायरेक्ट के जरिए निवेश को आसान बनाने पर फोकस है। Rupee डेरिवेटिव्स प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल के लिए स्मॉल फाइनेंस बैंक यानी एसएफबी (SFB) को मंजूरी मिल गई है।

बैंक के ग्राहकों के लिए आरबीआई ने एक नई सुविधा की शुरुआत का ऐलान किया है। इस सुविधा के तहत ग्राहक यूपीआई (UPI) के जरिए कैश डिपॉजिट मशीन में नकद जमा करा सकेंगे।
वहीं नॉन बैंक पेमेंट ऑपरेटर्स को भी e-Rupee में कारोबार करने को मंजूरी मिली है। शक्तिकांता दास ने कहा कि ,हम गोल्ड रिजर्व बना रहे हैं, ये हमारी नीति का हिस्सा है। फिनटेक के लिए अप्रैल अंत तक सेल्फ रेगुलेटरी बॉडी नियम जारी करेंगे। वहीं करेंसी डेरिवेटिव पर माइकल पात्रा ने कहा कि रिजर्व बैंक ने नीति में कोई बदलाव नहीं किया है। करेंसी डेरिवेटिव्स का इस्तेमाल हेजिंग के लिए ही होगा, यह 2008 में नियम लाने की शुरुआत के साथ ही साफ था। कुछ लोगों ने इस नीति का गलत इस्तेमाल किया है। Underlying Exposure की शर्त शुरुआत से ही रखी गई थी। बाजार के भागीदारों की मांग पर आरबीआई ने डेडलाइन मई तक बढ़ा दी है। फॉरेन एक्सचेंज डेरिवेटिव्स नियमों की समीक्षा का कोई सवाल नहीं उठता।

(शेयर मंथन, 5 अप्रैल, 2024)
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