इलायची में गिरावट की संभावनास जीरे में नरमी का रुझान - एसएमसी

हल्दी वायदा (अक्टूबर) की कीमतों के सीमित दायरे में कारोबार रहने की संभावना है और कीमतों को 6,800 रुपये के स्तर पर बाधा रहने की संभावना है।
2018-19 (जुलाई-जून) में अधिक उत्पादन अनुमान और कमजोर निर्यात माँग के कारण कीमतों पर लगातार दबाव पड़ रहा है। इस वर्ष सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों तेलंगाना, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में उत्पादन क्षेत्रों में बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि पूरे बुआई के दौरान मौसम काफी अच्छा रहा। इसलिए देश के सभी हाजिर बाजारों में हल्दी की कीमतों में गिरावट हो रही है। उत्तर भारत के कारोबारियों के पास काफी अधिक स्टॉक है और वे नया ऑर्डर नही कर रहे हैं।
आगामी दिनों में जीरा वायदा (अक्टूबर) की कीमतों में नरमी बरकरार रहने की संभावना है और कीमतों में 18,500-18,400 रुपये तक गिरावट हो सकती है। हाजिर बाजारों में खरीदारों के सक्रिय नही रहने से बिकवाली का दबाव बरकरार रह सकता है। इसके अतिरिक्त नयी फसल की बुआई अब शुरू होने वाली है, इसलिए कारोबारी काफी सतर्क हो गये हैं। इस सीजन में अधिक कीमतों की उम्मीद से किसान जीरे के उत्पादन क्षेत्र में बढ़ोतरी कर सकते हैं। इस वर्ष राष्ट्रीय एक्सचेंजों में जीरे की कीमतें वर्ष के उच्चतम स्तर 21,042 रुपये पर पहुँच गई थीं, जो रिकॉर्ड स्तर 21,093 रुपये से थोड़ा ही नीचे रही।
इलायची वायदा (अक्टूबर) की कीमतों में 1,385 रुपये तक गिरावट हो सकती है। अधिक कीमतों पर कम होते ओपेन इंटरेस्ट से पता चलता है कि कारोबारी मौजूदा अधिक कीमतों पर खरीदारी को लेकर बहुत इच्छुक नही हैं। इस बीच केरल में पिछले दो दिनों से हो रही बारिश से इलायची के फसल को लाभ होने की संभावना है। इडुक्की में दूसरे चरण की फसल कटाई लगभग पूरी हो गयी और तीसरे चरण की फसल कटाई अक्टूबर के मध्य में शुरू होगी। (शेयर मंथन, 01 अक्टूबर 2018)