बढ़ सकते हैं सोयाबीन और सोया तेल के दाम - एसएमसी साप्ताहिक रिपोर्ट

सोयाबीन वायदा (नवम्बर) की कीमतों को 4,250 रुपये के पास सहारा मिल रहा है, जिससे कीमतों के फिर से 4,500 रुपये के उच्च स्तर पर पहुँचने की उम्मीद है।

मजबूत वैश्विक संकेतों के साथ, पेराई मिलों के पास सोयाबीन की कम उपलब्धता और अधिक खरीदारी के कारण इंदौर और मध्य प्रदेश की अन्य मंडियों में कीमतों में तेजी बनी हुई है। इस सीजन में मध्य प्रदेश और राजस्थान में सोयाबीन की फसल पीले मोजेक वायरस, स्टेम फ्लाई, एन्थ्रेक्नोज और अन्य कीटों और बीमारियों के कारण बुरी तरह से प्रभावित हुई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में, ला-नीना घटना से अगले कुछ महीनों में दक्षिण अमेरिकी सोयाबीन फसलों की उत्पादकता में कमी आने की उम्मीद की खबरों से सेंटीमेंट काफी बेहतर है। इस क्षेत्र में लगातार शुष्क परिस्थितियों के कारण किसान बुआई में देरी करने के लिए मजबूर है, जिससे कीमतों को मदद मिल रही है। राष्ट्रीय एक्सचेंज पर आरएम सीड वायदा की कीमतें एक नये उच्च स्तर पर 6,087 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुँच है। उत्तर भारत में ठंड शुरू हो चुकी हैं और मौसमी रूप से सरसों के तेल की खपत बढ़ जाती है। पहले से ही आपूर्ति काफी कम है। यह देखते हुय़े सरसों की कीमतों में 6,150-6,200 रुपये तक बढ़ोतरी हो सकती हैं।
सोया तेल वायदा (नवम्बर) की कीमतों के 950-980 रुपये के दायरे में कारोबार करने की उम्मीद है, जबकि सीपीओ वायदा (नवम्बर) की कीमतें तेजी के रुझान के साथ 805-835 रुपये के दायरे में कारोबार कर सकती है। खाद्य तेल की कीमतें कई महीनों के उच्च स्तर पर कारोबार कर रही हैं और सरकार आयात शुल्क में कटौती और राज्य एजेंसियों की ओर से आयात करने के लिए तरीकों पर विचार कर रही है। इसके विपरीत, देश में खाद्य तेल की कीमतों में वृद्धि के बारे में कुछ तथ्यों पर प्रकाश डालते हुये, भारत के सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने सरकार को सुझाव दिया है कि वे आयात शुल्क को कम न करें या सार्वजनिक उपक्रमों को रियायती शुल्कों पर खाद्य तेलों को आयात करने के लिए प्रोत्साहित न करें। इसलिए, जब तक स्पष्टता नहीं है, तब तक ये काउंटर उपरोक्त दायरे में कारोबार कर सकते हैं। (शेयर मंथन, 02 नवम्बर 2020)