धनिया में बढ़ोतरी के संकेत, जीरे में गिरावट रहेगी बरकरार - एसएमसी साप्ताहिक रिपोर्ट

हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों के सीमित गिरावट के साथ 5,600-5,900 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है क्योंकि बड़े कैरीओवर स्टॉक और स्थिर आपूर्ति के बावजूद माँग बरकरार है।

ऐसी खबर है कि पिछले एक महीने में बांग्लादेश से रेल द्वारा मसालों के बढ़ते निर्यात ने देश से निर्यातकों को काफी उत्साहित किया है। इस साल जून से नवंबर तक आंध्र प्रदेश-तेलंगाना क्षेत्र से रेल मार्ग द्वारा बांग्लादेश को 8,964 टन हल्दी का निर्यात किया गया है। निर्यातक खेपों की निर्बाध आवाजाही के संभावित लाभ को देखते हुये, परिवहन के लिए रेल मार्ग को लेकर सबसे अधिक रुचि दिखा रहे हैं।
जीरा वायदा की कीमतों में लगातार गिरावट हो रही है और लगभग वर्ष के निचले स्तर 12,750 रुपये के करीब कारोबार कर रही हैं। इस सीजन में अधिक उत्पादन की संभावना से कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। मौजूदा रबी सीजन में 2020-21 में गुजरात में जीरे के तहत कुल बुआई क्षेत्र 4,53,704 हेक्टेयर है, जो 2019-20 के दौरान 3,75,533 हेक्टेयर और पिछले तीन साल के औसत 4,06,141 हेक्टेयर से अधिक है। घरेलू स्टॉकिस्टों की माँग कम हो गयी है क्योंकि वे बाजार में नयी फसल की प्रतीक्षा कर रहे हैं। आगामाी दिनों में इस नरमी के रुझान के रहने की उम्मीद है और जनवरी कॉन्टैंक्ट की कीमतें एक नये निचले स्तर 12,600-12,300 रुपये तक लुढ़क सकती है।
धनिया वायदा (जनवरी) की कीमतों में बढ़ोतरी के बिकवाली जारी रह सकती है और कीमतों में 5,700-5,500 रुपये तक गिरावट हो सकती है। कीमतों को 6,000 रुपये के करीब बाधा का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि पिछले तीन साल के औसत की तुलना में इस वर्ष बुआई क्षेत्र दोगुना हो गया है। रबी सीजन 2020-21 में, गुजरात में धनिया के तहत कुल बुआई क्षेत्र 2019-20 के 67,278 हेक्टेयर की तुलना में बढ़कर 1,28,591 हेक्टेयर तक पहुँच गया है और पिछले तीन साल के औसत 62,641 हेक्टेयर से अधिक है। (शेयर मंथन, 21 दिसंबर 2020)