धनिया में नरमी, हल्दी की कीमतों में 8,900-9,300 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना - एसएमसी

हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतें कल 2.6% की गिरावट के साथ बंद हुई।

अब कीमतों के 8,900-9,300 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। नये सीजन की हल्दी की आवक बाजारों में हो रही है। वर्तमान में, कीमतें पिछले साल की तुलना में 2.5% अधिक हैं क्योंकि नये सीजन की हल्दी बाजार में आ रही है और इस सीजन में निर्यात सामान्य है। वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 9 महीनों (अप्रैल-दिसम्बर) में, पिछले साल के मुकाबले 20.7% घटकर 1,16,400 टन निर्यात हुआ है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 8.8% अधिक है।

उच्च स्तर पर मुनाफा वसूली के कारण जीरा वायदा (मार्च) की कीमतों में कल 2.7% की गिरावट हुई है। अब कीमतें 20,400 रुपये के स्तर पर अड़चन के साथ 19,800 रुपये के स्तर पर पहुँच सकती है क्योंकि अधिक कीमतों पर बाजारों में जीरे की आवक होने लगी है। ऊँझा में पिछले हफ्ते में 11,000 बैग की तुलना में वर्तमान में 18,000 बैग की आवक हो रही है। बुआई क्षेत्र में गिरावट और घरेलू माँग में सुधार की खबरों के कारण वर्तमान में कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 46.5% अधिक हैं। 2021-22 में, गुजरात में जीरा का रकबा केवल 3.07 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल समान अवधि में 4.69 लाख हेक्टेयर था और दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार उत्पादन पिछले वर्ष के 4 लाख टन की तुलना में 41% घटकर 2.37 लाख टन होने की उम्मीद है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार अप्रैल-दिसम्बर में जीरा का निर्यात वर्ष-दर-वर्ष 24% घटकर 1.74 लाख टन रह गया है, जो पिछले वर्ष 2.30 लाख टन हुआ था।

धनिया वायदा (अप्रैल) की कीमतें कल लगभग सपाट बंद हुई। अब कीमतों के नरमी के रुझान के साथ 10,500-10,920 रुपये के दायरे में कारोबार करने की संभावना है। भौतिक बाजार में कीमतें इस आधार पर स्थिर थी कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण रोमानिया और बुल्गारिया से धनिया की आपूर्ति को प्रभावित कर सकता है, जिससे भारतीय बाजार का मदद मिलेगा। सीजन की फसल से आवक बढ़ने से धनिया की कीमतों पर अल्पावधि में दबाव बने रहने की संभावना है। वर्तमान में सामान्य की तुलना में कम रकबे के कारण उत्पादन में कमी की आशंका से कीमतें वर्ष-दर-वर्ष 55.7% अधिक हैं और जनवरी 2022 के बाद से 23.5% अधिक हैं। सरकारी आँकड़ों के अनुसार अप्रैल-दिसम्बर की अवधि के दौरान निर्यात पिछले साल के 43,100 टन से 13% घटकर 37,500 टन हुआ है, लेकिन 5 साल के औसत की तुलना में 11% अधिक है। (शेयर मंथन, 08 मार्च 2022)