इस समय शेयर बाजार में हमें उम्मीद की कोई किरण ही नहीं दिख रही है कि आखिर सरकार कैसे चालू खाता घाटा (सीएडी) की स्थिति को सुधारेगी?
आयात शुल्क (Import Duty) बढ़ा कर हम 1991 से पहले की स्थिति में वापस जा रहे हैं।
इससे हम तस्करी को बढ़ावा दे रहे हैं। सरकार अब नीतिगत लकवे की हालत से भी आगे जाकर विचार-शून्यता की हालत में चली गयी है, जहाँ उन्हें कुछ समझ में ही नहीं आ रहा कि आगे करना क्या है।
अभी जो हालत है उसमें कंपनियों की बहुत बुरी हालत हो रही है और इसका असर सीधे तौर पर बैंकों पर होगा। एक-एक तिमाही में दस-दस हजार करोड़ रुपये के डूबे कर्ज (NPA) बढ़ रहे हैं। मुझे समझ में नहीं आ रहा कि इसका समाधान क्या निकलेगा। पीएनबी सरकार से कह रहा है कि हमें और पूँजी दीजिए, मतलब हमारी हालत खस्ता है और सँभालने के लिए हमारी शेयर पूँजी में पैसा डालिए।
लैंको इन्फ्रा जैसी कंपनी एक तिमाही में 778 करोड़ रुपये का घाटा दिखाती है। लेकिन वह पैसा तो बैंकों का है। पहले राजमार्गों (Highways) पर हद से ज्यादा आक्रामक बोलियाँ लगायी और अब हाथ खड़े कर रहे हैं। जेपी ने विश्वस्तरीय यमुना एक्सप्रेसवे बना दिया, लेकिन उस पर दो सौ गाड़ियाँ चलती हैं। इस हालत पर उन्हें कोई तनाव नहीं होगा क्योंकि उसमें 12,000 करोड़ रुपये तो बैंकों के लगे हुए हैं।
जहाँ तक शेयर बाजार की बात है, अब निवेशक तो बचे ही नहीं हैं। केवल सट्टेबाजी हो रही है कमोडिटी और रुपये में। यह चरम निराशा की हालत है, जिसमें कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। लेकिन यह बात भी सही है कि नयी उम्मीद के बीज ऐसी चरम निराशा के क्षणों में अंकुरित होते हैं। हम उम्मीद के उन्हीं बीजों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
शेयर बाजार में आज की स्थिति में मैं निवेशकों को किसी नये निवेश की सलाह नहीं दे रहा हूँ। दूसरी ओर जिन लोगों के पैसे शेयरों में फँसे हुए हैं, वे इन भावों पर निकल भी नहीं सकते। इसलिए अब बाहर निकलने का भी मौका नहीं बचा है। मैं किसी निवेशक को उसके मौजूदा शेयरों को आज के भाव पर और खरीद कर औसत भाव घटाने की सलाह भी नहीं दे सकता। अगर शेयरों के डिलीवरी कारोबार की मात्रा देखें तो उसी से पता चल जाता है कि बाजार ठप हो चुका है। अभी केवल कारोबारी सौदे हो रहे हैं।
बाजार में इस चरम निराशा की हालत में एक कारोबारी उछाल के नजरिये से कुछ खरीदा जा सकता है। इस समय ज्यादा शेयरों की बात करना मुश्किल है, लेकिन मुझे लगता है कि दो महीने के नजरिये से लार्सन एंड टुब्रो (L&T) को लिया जा सकता है। इस सौदे में जब भी आपको करीब 10% का फायदा मिल जाये तो मुनाफा लेकर निकल जाना ठीक रहेगा। कवी कुमार, कंट्री हेड, ग्लोब कैपिटल मार्केट (Kavee Kumar, Country Head, Globe Capital Market)
(शेयर मंथन, 16 अगस्त 2013)