निप्पॉन इंडिया मल्टी एसेट फंड : 7 अगस्त से खुल रहा है एनएफओ

निप्पॉन इंडिया मल्टी एसेट फंड (Nippon India Multi Asset Fund) का एनएफओ (NFO) 7 अगस्त 2020 से 21 अगस्त 2020 के दौरान खुला रहेगा। इस एनएफओ में न्यूनतम 5,000 रुपये से निवेश किया जा सकता है।

यह खुली अवधि की (ओपेन एंडेड) योजना है, यानी एनएफओ के बाद भी इसमें निवेश करने का रास्ता खुला रहेगा। इस फंड में प्रवेश शुल्क (एंट्री लोड) शून्य है, वहीं निकास शुल्क (एक्जिट लोड) यूनिटों के आवंटन की तिथि से एक वर्ष पूरा होने से पहले तक 1% और उसके बाद शून्य रखा गया है।
मल्टी एसेट फंड इन दिनों चर्चा में हैं, खास कर इसलिए कि कई एसेट मैनेजमेंट कंपनियों ने अपने मल्टी एसेट फंड के एनएफओ प्रस्तुत किये हैं। फरवरी में टाटा मल्टी एसेट अपॉर्चुनिटीज फंड और जुलाई में मोतीलाल ओसवाल मल्टी एसेट फंड के एनएफओ आने के बाद अब निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फंड (Nippon India Mutual Fund) ने भी अपने मल्टी एसेट फंड का एनएफओ बाजार में उतारने की तैयारी कर ली है।
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, मल्टी एसेट फंड एक साथ कई संपदा वर्गों (एसेट क्लास) में निवेश करते हैं। मुख्यतः ये इक्विटी, डेब्ट, सोना, और कमोडिटी में निवेश करते हैं और बाजार की स्थितियों के अनुरूप इन संपदाओं में निवेश का अनुपात घटाते-बढ़ाते रहते हैं। गौरतलब है कि कुछ समय पहले ही बाजार नियामक सेबी ने म्यूचुअल फंडों को कमोडिटी डेरिवेटिव में निवेश करने की अनुमति दी है। जो निवेशक किसी एक ही जगह पैसा लगा कर अलग-अलग संपदा वर्गों में बाँट कर विविधीकृत (डाइवर्सिफाइड) निवेश करने का उद्देश्य हासिल करना चाहते हैं, उनके लिए यह अच्छा विकल्प कहा जा सकता है। एक मल्टी एसेट फंड में निवेश करने का मतलब यह है कि अपना निवेश अलग-अलग संपदा वर्गों में कब किस अनुपात में बाँटना है, इसका फैसला निवेशक स्वयं करने के बदले एक विशेषज्ञ फंड मैनेजर के हाथों में यह काम सौंप दे।
यदि इक्विटी, डेब्ट और सोना - इन तीन संपदा वर्गों की तुलना करें तो इन सभी का प्रदर्शन हर साल एक जैसा नहीं रहता। किसी साल इक्विटी का प्रतिफल (रिटर्न) सबसे ज्यादा रहता है, तो किसी साल सोने का, कभी डेब्ट का। बाजार के किस चक्र में किस संपदा वर्ग में अधिक निवेश रखना चाहिए, यह एक आम निवेशक के लिए समझ पाना कठिन होता है। मल्टी एसेट फंड इसी चक्र को बेहतर तरीके से समझ कर निवेशक के लिए ज्यादा प्रतिफल हासिल करने और साथ ही निवेशक की पूँजी को सुरक्षित रखने की कोशिश करते हैं। अधिकांश मल्टी एसेट फंडों का व्यवहार एक संरक्षात्मक (कंजर्वेटिव) बैलेंस्ड फंड जैसा होता है, जिसका सोने में निवेश पूरे पोर्टफोलिओ को स्थिरता देने की ही भूमिका निभाता है। इसलिए मल्टी एसेट फंड की तुलना किसी शुद्ध इक्विटी फंड से करना निरर्थक होगा।
यहाँ किसी खास मल्टी एसेट फंड की प्रकृति को समझना भी महत्त्वपूर्ण होता है, कि क्या उसका प्राथमिक उद्देश्य बाजार के हर चक्र में निवेशक की पूँजी को सुरक्षित रखना है, या कुछ अधिक जोखिम उठा कर अधिक प्रतिफल पाना है। जानकार मानते हैं कि किसी मल्टी एसेट फंड के प्रदर्शन को छोटी अवधि में नहीं आँका जा सकता। ऐसे फंड का वास्तविक प्रदर्शन तभी आँका जा सकता है, जब वह बाजार के एक पूरे चक्र से गुजर चुका हो।
निप्पॉन इंडिया मल्टी एसेट फंड ने अपना उद्देश्य रखा है इक्विटी से मिलने वाली वृद्धि, डेब्ट से मिलने वाली स्थिरता और कमोडिटी से मिलने वाले विविधीकरण का लाभ अपने निवेशकों को देना। कमोडिटी की श्रेणी में यह फंड न केवल एक्सचेंज ट्रेडेड कमोडिटी डेरिवेटिव में, बल्कि गोल्ड ईटीएफ में भी निवेश करेगा। इस फंड के प्रोडक्ट नोट के अनुसार इसके पोर्टफोलिओ में 50-80% के दायरे में इक्विटी (विदेशी शेयरों सहित), 10-20% के दायरे में डेब्ट और मनी मार्केट प्रतिभूतियों और 10-30% के दायरे में कमोडिटी में निवेश किया जायेगा। इन संपदा वर्गों में निवेश के अनुपात का तिमाही आधार पर संतुलन किया जायेगा। जानकारों के अनुसार निवेशकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि इस फंड में निवेश से मिलने वाले प्रतिफल पर आय कर का आकलन एक डेब्ट फंड की तरह ही किया जायेगा।
भारतीय इक्विटी बाजार में निवेश के लिए यह फंड मल्टीकैप निवेश रणनीति पर चलेगा, जिसमें शेयरों के चुनाव के लिए बॉटम-अप दृष्टिकोण अपनाया जायेगा। शेयरों का चयन उनके उचित मूल्य और बाजार मूल्य में अंतर के आधार पर किया जायेगा और ग्रोथ स्टॉक या वैल्यू स्टॉक का अंतर नहीं देखा जायेगा। किसी शेयर को चुनते समय कंपनी के कारोबारी मॉडल की स्थिरता पर ध्यान दिया जायेगा। भारतीय इक्विटी पोर्टफोलिओ में 50-70% हिस्सा लार्जकैप शेयरों का और बाकी हिस्से में मुख्यतः मिडकैप शेयरों को रखा जायेगा।
कमोडिटी श्रेणी में मुख्य रूप से इस फंड का निवेश गोल्ड ईटीएफ या ईटीसीडी में होगा। सोने में निवेश का मुख्य उद्देश्य विविधीकरण होगा, क्योंकि इसका इक्विटी और डेब्ट से सह-संबंध कम रहता है। ईटीएफ या ईटीसीडी के माध्यम से सोने में कम-से-कम 10% निवेश रखा जायेगा। सोवरेन गोल्ड बॉन्ड के माध्यम से भी सोने में निवेश किया जा सकता है। वहीं इस फंड में 5% आवंटन अन्य कमोडिटी, जैसे चांदी, ऊर्जा, कमोडिटी सूचकांकों आदि में किया जायेगा। (शेयर मंथन, 5 अगस्त 2020)