बजट 2026 को लेकर चर्चाएँ तेज़ होने लगी हैं, और वित्त मंत्री की अर्थशास्त्रियों के साथ हालिया बैठक ने इस चर्चा को और गति दे दी है। जानें बाजार विश्लेषक राहुल अरोड़ा की क्या उम्मीदें हैं?
बाजार विश्लेषक राहुल अरोड़ा कहते है कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने कर व्यवस्था और जीएसटी जैसे क्षेत्रों में बड़े सुधार किए हैं। एक्सपोर्ट और इंपोर्ट पर ग्लोबल घटनाओं का ज्यादा असर रहता है, इसलिए सबसे महत्वपूर्ण हैं कंसम्पशन (C), इन्वेस्टमेंट (I) और गवर्नमेंट स्पेंडिंग (G)। आज चुनौती यह है कि इन तीनों में संतुलन ठीक नहीं है। एफएमसीजी कंपनियों के हालिया आंकड़े दर्शाते हैं कि उपभोग, विशेषकर ग्रामीण और बॉटम-ऑफ-द-पिरामिड सेक्टर में, अभी भी बहुत कमजोर है। कोलगेट में वॉल्यूम डिग्रोथ और हिंदुस्तान यूनिलीवर में लगभग शून्य वॉल्यूम ग्रोथ इस बात का संकेत है कि आम जनता की वास्तविक आय में वह वृद्धि नहीं हुई है जो उपभोग को बढ़ा सके। आगामी बजट से सबसे बड़ी अपेक्षाएँ तीन क्षेत्रों में हैं। ग्रामीण आय का पुनरुत्थान, निजी निवेश को प्रोत्साहन, और उपभोग में वास्तविक सुधार। यदि सरकार इन मुद्दों पर स्पष्ट रोडमैप देती है, तो यह भारत की वृद्धि कहानी में एक अहम मोड़ साबित हो सकता है।
(शेयर मंथन, 15 नंवबर 2025)
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