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सोयाबीन की कीमतों में तेजी के कारण 1.5% की बढ़त - एसएमसी

हाजिर बाजारों में तेजी के रुझान पर सोयाबीन वायदा (जनवरी) की कीमतों में 1.5% की बढ़त दर्ज की गयी है।

सोयाबीन की कीमतों को कम करने के लिए सरकार ने पिछले हफ्ते तत्काल प्रभाव से सोया मील पर स्टॉक की सीमा तय कर दी थी। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, एक संयंत्र दैनिक उत्पादन क्षमता के अनुसार अधिकतम 90 दिनों के उत्पादन का स्टॉक रख सकता है। 20-दिसंबर-2021 को, सेबी ने एनसीडीईएक्स को इंट्राडे में नये पोजिशन की अनुमति नहीं देने और कमोडिटीज के नये अनुबंध शुरू करने और एक वर्ष के लिए लागू करने के लिए कहा है। सोयाबीन में केवल मौजूदा पोजिशन को पूरा करने की अनुमति होगी। चालू रबी मौसम में तिलहन क्षेत्रा में वर्ष-दर-वर्ष लगभग 22% की वृद्धि होती है। एसईए के अनुसार, अक्टूबर-नवंबर के दौरान आवक पिछले साल के 37 लाख टन की तुलना में 29 लाख टन आंकी गयी है, जबकि सोयामील निर्यात (अक्टूबर-नवंबर) भी वर्ष-दर-वर्ष 38% घटकर 10.4 लाख टन हो गया है। यूएसडीए की नवंबर की मासिक रिपोर्ट के अनुसार भारत में सोयाबीन का उत्पादन माह-दर-माह 8% बढ़कर 11.9 मिलियन टन हो गया है।
मिले-जुले रूझानों के कारण खाद्य तेल की कीमतों में मामूली बदलाव हुआ है। सरकार ने देश में जीएम सोयाबीन भोजन के अतिरिक्त आयात को मंजूरी नहीं देने का फैसला किया है क्योंकि देश घरेलू खपत के लिए पर्याप्त उत्पादन करेगा। पिछले सप्ताह खाद्य तेल की कीमतें तेजी के साथ बंद हुई थी। सेबी के सर्कुलर के अनुसार एक्सचेंज सीपीओ और सोया ऑयल में किसी नये पद की अनुमति नहीं दे रहा है। सरकार ने दिसंबर 2022 तक एक और साल के लिए बिना लाइसेंस के रिफाइंड पॉम तेल आयात करने की अनुमति दी है और घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और खुदरा कीमतों को कम करने के प्रयासों के तहत रिफाइंड पॉम तेल पर मूल सीमा शुल्क को 17.5 फीसदी से घटाकर 12.5 फीसदी कर दिया है। (शेयर मंथन, 27 दिसंबर 2021)

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