
राजीव रंजन झा : तकनीकी नजरिये से देखा जाये तो 30 अक्टूबर को निफ्टी ने बीते कई हफ्तों से चल रहा दायरा नीचे की ओर तोड़ा।
खास कर 5630 के स्तर पर लोगों की नजर अटकी थी, और वह स्तर टूट गया। जाहिर है कि इससे बाजार में ब्रेकडाउन यानी नीचे की ओर चाल बनने की संभावना बनती थी। जानकारों की राय मोटे तौर पर यह बनी कि इस कमजोरी में निफ्टी कम-से-कम 5500-5550 तक तो फिसलेगा ही। लेकिन 31 अक्टूबर और 1 नवंबर के कारोबार में बाजार ने और नीचे फिसलने की कोई हड़बड़ी नहीं दिखायी। दोनों ही दिन निफ्टी 5600 के ऊपर बंद हुआ।
इस तरह भारतीय बाजार ने पहले तो लोगों को ऊपर की ओर छकाया। जब बाजार में आम राय बनने लगी कि निफ्टी 6000 या इसके भी ऊपर जाने वाला है तो यह उस लक्ष्य से पहले ही पलट गया। जब लोगों ने सोचा कि अब तो निफ्टी के नीचे टूटने की बारी है, तो यह नीचे के उन लक्ष्यों की ओर जाने में हिचक रहा है। यह लोगों को छकाने का बाजार का अपना तरीका है।
शेयर मंथन में 24 सितंबर की सुबह मैंने लिखा था कि “बाजार को अभी नीचे जाने का मन नहीं है। लेकिन इस समय बाजार में सबको पता चल गया है कि रुझान सकारात्मक है। सबको पता है कि निफ्टी शायद 5900-6000 तक जाने वाला है। जनाब, शेयर बाजार में मुनाफा किसी मंदिर का प्रसाद है क्या जो सबको बँट जायेगा! हाँ, मैंने भी लिखा कि दशहरा-दीवाली तक निफ्टी 6000 के ऊपर जा सकता है। लेकिन क्या बाजार इतनी आसानी से आपके हाथ में लड्डू रख देगा?” बाजार की आम राय के बारे में मेरी जो आशंका थी, उसे बाजार ने सही साबित किया लेकिन दो हफ्ते बाद।
बाजार की छकाने वाली आदत को लेकर 30 अक्टूबर को भी मैंने शेयर मंथन में लिखा कि “बाजार अपनी अगली चाल पकड़ने से पहले एक बार बुरी तरह छकायेगा। इतना तय है कि बाजार में एक बड़ी चाल आने वाली है। बीते 5 हफ्तों से दबा स्प्रिंग जब छूटेगा तो निफ्टी के चार्ट पर रॉकेट जैसी चाल दिखेगी। लेकिन अपनी असली दिशा में जाने से पहले बाजार एक नकली चाल दिखा कर लोगों को फँसा सकता है। इसका कारण यह है कि निफ्टी के मौजूदा दायरे की सीमाएँ बाजार में बच्चे-बच्चे को रट गयी हैं। ऊपर 5750 पार करने पर तेजी आयेगी, नीचे 5630 टूटने पर मंदी आयेगी, यह अब सबके लिए खुला रहस्य बन गया है। पर बाजार ऐसे खुले रहस्यों पर नहीं चला करता।” Rajeev Ranjan Jha
(शेयर मंथन, 02 नवंबर 2012)
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Ankush