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क्या निफ्टी जायेगा 7200 तक, या अटकेगा 6700 पर ही?

राजीव रंजन झा : तकनीकी नजरिये से इस समय शेयर बाजार काफी मजबूत स्थिति में दिख रहा है।

निवेश मंथन के मार्च 2014 के अंक में मैंने निफ्टी के मासिक चार्ट पर एक चढ़ती पट्टी की ऊपरी रेखा मिल रही बाधा का जिक्र करते हुए लिखा था कि “अगर निफ्टी इस पट्टी से ऊपर निकले तो पहले 6,700 और फिर लगभग 7,000 के लक्ष्य बन सकते हैं।” मेरी नजर दिसंबर 2013 में बने शिखर 6,415 से फरवरी 2014 के पहले हफ्ते में बनी तलहटी 5,933 तक की गिरावट की वापसी के स्तरों पर थी। इस संरचना में 100% वापसी पूरी करने के बाद 161.8% वापसी का स्तर 6,713 पर बनता है, और यह लक्ष्य मार्च में हासिल हो चुका है। सेंसेक्स के अक्टूबर 2013 से अब तक के चार्ट पर भी एक चढ़ती पट्टी दिखती है। मार्च 2014 के अंतिम दिनों में सेंसेक्स इस पट्टी की ऊपरी रेखा को पार कर गया है। साथ ही इसने 18 मार्च को बने ताजा रिकॉर्ड स्तर 20,041 को पार करके नये रिकॉर्ड स्तर बनाना भी शुरू कर दिया है। जाहिर है कि ये दोनों बातें बाजार में और तेजी का इशारा कर रही हैं।

रुपये में मजबूती से भी सहारा

इस समय शेयर बाजार और रुपये में भी एक सीधा सह-संबंध दिख रहा है। शेयर बाजार में एफआईआई के निवेश के चलते डॉलर की आवक बढ़ी है, जिससे रुपये को मजबूती मिली है। वहीं रुपये में मजबूती से शेयर बाजार का हौसला बढ़ता है। दोनों के सह-संबंध को सामने रखते हुए राग बाजारी में मैंने 11 मार्च 2014 को लिखा था, “अब अगर डॉलर 61 रुपये के नीचे अटका रहा तो यह अक्टूबर 2013 से अब तक के दायरे से नीचे फिसल जाने का संकेत होगा। इसका सीधा मतलब यह होगा कि डॉलर की कीमत नीचे की दिशा पकड़ेगी और रुपया मजबूत होगा।” आगे मैंने लिखा था कि “अप्रैल 2013 के अंत में 53.56 रुपये की तलहटी से अगस्त 2013 में 68.81 रुपये तक की उछाल की 50% वापसी 61.18 पर है और बीते पाँच महीनों से डॉलर की कीमत मोटे तौर पर इसी स्तर पर सहारा लेती रही है। यह सहारा पक्के तौर पर टूटने पर 61.8% वापसी के स्तर 59.38 रुपये की ओर फिसलना स्वाभाविक होगा। इसीलिए अब मोटे तौर पर 59-61 का दायरा बन सकता है।” रुपये की चाल बिल्कुल इसी तर्ज पर रही और 28 मार्च 2014 को एक डॉलर की कीमत घट कर 59.68 तक आ गयी।

यहाँ डॉलर और रुपये के चार्ट की ताजा स्थिति देख कर ऐसा लगता है कि डॉलर की कीमत को 59.38 रुपये के स्तर पर सहारा मिल सकता है। वैसी स्थिति में फिलहाल यह 59-61 के मोटे दायरे में चल सकता है। लेकिन अगर आने वाले दिनों में इसने 59.38 के स्तर को निर्णायक ढंग से तोड़ा तो अगला बड़ा पड़ाव 56.61 का होगा। डॉलर और रुपये के चार्ट पर 200 एसएमए और 50 एसएमए का नकारात्मक कटान (क्रॉस) बन चुका है। मौजूदा भाव इन दोनों औसत के नीचे चल रहा है। इसलिए 56.61 की ओर फिसल जाना आश्चर्यजनक नहीं होगा।  मैंने 11 मार्च के लेख में रुपये और शेयर बाजार के सह-संबंध के मद्देनजर लिखा था कि “रुपये में इस तरह की मजबूती आने का एक सीधा मतलब यह होगा कि शेयर बाजार में भी मजबूती जारी रह सकती है। वैसी स्थिति में निफ्टी के लिए 6,700 और 7,000 की ओर बढ़ना आसान हो जायेगा।” निफ्टी ने मार्च में 6,700 का स्तर भी देख लिया है। क्या अब 7,000 की ओर बढ़ने की बारी है? कुछ तकनीकी संरचनाएँ 7,000 ही नहीं, लगभग 7,200 के भी लक्ष्य बता रही हैं। मार्च 2014 के अंक में मैंने एक और संरचना का जिक्र किया था, जिससे लगभग 6,700 का लक्ष्य बनता था। यह संरचना थी अगस्त 2013 की तलहटी 5,119 से दिसंबर 2013 के शिखर 6,415 तक की उछाल और फिर फरवरी 2014 की तलहटी 5,933 तक की गिरावट के प्रोजेक्शन की। इसमें 61.8% प्रोजेक्शन से 6,732 का लक्ष्य बनता था, जो मार्च 2014 के अंत में पूरा हो गया। इसके बाद 80% प्रोजेक्शन का अगला लक्ष्य 6,967 यानी लगभग 7,000 का है, जबकि 100% प्रोजेक्शन से 7,226 का लक्ष्य मिलता है।

कहीं 6,700 पर अटक न जाये गाड़ी जैसा

मैंने ऊपर लिखा, निफ्टी के लिए लगभग 6,700 का एक लक्ष्य था, जो पूरा हो चुका है। अब निफ्टी को या तो ऊपर अगले लक्ष्य की ओर बढ़ना होगा या मौजूदा स्तरों से पलटना होगा। सेंसेक्स और निफ्टी के चार्ट पर फरवरी 2012 और जनवरी 2013 के शिखरों को मिलाने से जो रुझान रेखा बनती है, ठीक उसके सामने ये दोनों सूचकांक खड़े हैं। बीते सवा दो सालों की इस रुझान रेखा को पार करने पर बाजार की तेजी और खुलने की संभावना बन जायेगी। लेकिन अगर सेंसेक्स और निफ्टी इस रेखा पर अटक गये तो यहाँ से एक अच्छी-खासी मुनाफावसूली भी आ सकती है।

फरवरी के निचले स्तर 5,933 से अब तक की उछाल लगभग इकतरफा रही है और निफ्टी ने इस दौरान ज्यादा तलहटियाँ नहीं बनायी हैं।सबसे ताजा तलहटी देखना चाहें तो 14 मार्च के निचले स्तर 6,433 पर निगाह जाती है। गौरतलब है कि 5119-6415-5933 की संरचना में 38.2% प्रोजेक्शन का स्तर लगभग 6,430 का ही है। इसलिए फिलहाल यही माना जा सकता है कि किसी भी उतार-चढ़ाव में जब तक निफ्टी 6,430 के नीचे न फिसले, तब तक इसका सकारात्मक रुझान जारी रहेगा। लेकिन मौजूदा स्तरों से वहाँ तक की गिरावट भी लगभग 4-5% की हो जायेगी।

अगर सिंपल मूविंग एवरेज (एसएमए) स्तरों को देखें तो सबसे पहला सहारा 10 दिनों के एसएमए पर मिलना चाहिए, जो अभी 6,580 के ऊपर है। वहीं इसके नीचे 20 एसएमए अभी 6500 के कुछ ऊपर है। लेकिन ध्यान रखें कि छोटी अवधि के ये औसत काफी गतिशील ढंग से बाजार के साथ-साथ ऊपर चढ़ते जा रहे हैं। इसलिए अगर सहारे के लिहाज से किसी खास स्तर पर नजर रखनी हो तो 5119-6415-5933 की संरचना में 50% प्रोजेक्शन के स्तर यानी लगभग 6,580 का ध्यान रखा जा सकता है। इसके नीचे जाने पर बाजार में छोटी अवधि के लिए कमजोरी आ सकती है। हालाँकि ज्यादा चिंता तभी होगी, जब निफ्टी 6,430 के नीचे गिरे। Rajeev Ranjan Jha

(शेयर मंथन, 01 अप्रैल 2014)

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