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क्या होगा जीएसटी (GST) और डीटीसी (DTC) का?

राजीव रंजन झा : वित्त मंत्रालय में बजट की तैयारियाँ जोर पकड़ चुकी हैं। आगामी बजट में यह स्पष्ट होगा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) को लागू करना मोदी सरकार की प्राथमिकता सूची में किस पायदान पर है।

जीएसटी के बारे में तो भाजपा के नेता जल्दी लागू कराने की बातें करते रहे हैं, लेकिन डीटीसी के बारे में ऐसे स्वर सुनने को मिले हैं कि इसकी समीक्षा की जानी चाहिए। उद्योग जगत का एक हिस्सा तो डीटीसी के बारे में कहने लगा है कि इसकी जरूरत ही नहीं है, क्योंकि इसमें प्रस्तावित काफी सारी बातें पहले से लागू की जा चुकी हैं। 

डीटीसी के लिए मध्य-वर्ग की सारी उत्सुकता मात्र इतनी है कि आय कर छूट की सीमा बढ़ा कर तीन लाख रुपये की जायेगी या पाँच लाख रुपये। इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि डीटीसी को लागू करने के बारे में यह सरकार प्रतिबद्ध नजर आती है या नहीं।

जीएसटी को लागू कराने में नयी सरकार के राजनीतिक कौशल की परीक्षा होगी। कांग्रेस के कई नेता ऐसे संकेत दे चुके हैं कि भाजपा ने हमें जीएसटी लागू नहीं करने दिया, अब देखते हैं कि भाजपा कैसे यह काम कर पाती है! लेकिन जीएसटी लागू करते समय मोदी सरकार के लिए असली चुनौती यह होगी कि जनता इसके लागू होने पर कुछ प्रत्यक्ष राहत महसूस कर सके। 

तमाम विद्वान यह बताते रहे हैं कि जीएसटी से विकास दर अतिरिक्त 1-2' बढ़ जायेगी और सरकार की आमदनी बढ़ जायेगी। लेकिन जीएसटी से विभिन्न वस्तुओं के खुदरा दाम घटेंगे या बढ़ेंगे? अगर जीएसटी के नाम पर बाजार में खुदरा दाम बढ़ते नजर आये, तो जाहिर है कि उसका ठीकरा मोदी सरकार के सिर पर ही फोड़ा जायेगा।

मोदी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती हर तबके की आसमान छूती आकांक्षाओं के बीच संतुलन साधने की होगी। उन्हें अंधाधुंध उदारीकरण बनाम जनोन्मुख विकास के बीच अपना रास्ता चुनना है। Rajeev Ranjan Jha

(शेयर मंथन, 11 जून 2014)

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