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अब बजट तक बाजार की चाल रहेगी अनिश्चित सी

राजीव रंजन झा : बुधवार 11 जून को नया उच्चतम स्तर बनाने के बाद से सेंसेक्स और निफ्टी जरा सुस्त नजर आ रहे हैं। इस तरह से दो हफ्ते हो गये हैं, जब बाजार मौजूदा स्तरों से ऊपर जाने का हौसला नहीं जुटा पा रहा है।

लेकिन साथ ही बीते हफ्ते के दौरान इसने मोटे तौर पर एक दायरा बना कर उस दायरे का निचला स्तर बचाये रखने की कोशिश की है।

सेंसेक्स (Sensex) ने 11 जून को 25,736 का उच्चतम स्तर बनाने के बाद जो सुस्ती दिखायी, उसमें वह मोटे तौर पर 25,000 के मनोवैज्ञानिक स्तर को बचाने की कोशिश करता रहा है। यह 16 जून को 25,064 तक फिसलने के बाद सँभला था। इसके बाद 19 जून को भी इसने 25,070 पर सहारा लिया। शुक्रवार 20 जून को इसका निचला स्तर 25,056 पर रहा।

दूसरी तरफ बीते दो हफ्तों के दौरान सेंसेक्स के जो ऊपरी स्तर दिख रहे हैं, उनको मिलाने वाली रुझान रेखा खींचें तो अभी वह 25,500 के कुछ ऊपर है और हर दिन थोड़ा नीचे आ रही है। इस तरह सेंसेक्स के लिए मोटे तौर पर 25,000 से लेकर 25,500 तक का, यानी 500 अंकों का एक दायरा बन गया है, जिसके टूटने पर नयी चाल बनेगी।

अगर निफ्टी (Nifty) के उतार-चढ़ाव को देखें तो 11 जून को ठीक 7,700 पर नया शिखर बनाने के बाद से यह सुस्त पड़ गया है, लेकिन मोटे तौर पर 7,500 के स्तर को बचाये रखने की कोशिश करता रहा है। बीते हफ्ते के पहले दिन सोमवार 16 जून को इसने 7,500 का स्तर थोड़ी देर के लिए तोड़ा, लेकिन अंत में 7,500 के ऊपर लौट आया। शुक्रवार 20 जून को भी यह 7,497 तक गिरा, यानी मोटे तौर पर 7,500 को छू गया और अंत में 7,511 पर बंद हुआ। निफ्टी के बीते दो हफ्तों के ऊपरी स्तरों को मिलाने वाली रुझान रेखा अभी 7,640 पर है, और हर दिन कुछ नीचे आ रही है। इस तरह निफ्टी के लिए भी मौजूदा दायरा मोटे तौर पर 7,500 से 7,650 का बन गया है, जिसके टूटने पर ही नयी चाल बनेगी।

सवाल है कि यह चाल ऊपर होगी या नीचे? कहना मुश्किल है। लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि यह दायरा ऊपर की ओर टूटने पर आगे फिर से नयी ऊँचाइयाँ छूने का रास्ता खुल जायेगा, जबकि दायरा नीचे टूटने पर बाजार को नये उच्चतम स्तरों पर जाने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ जायेगा।

बाजार की अगली चाल इस समय विदेशी घटनाक्रम के साथ-साथ घरेलू खबरों पर भी निर्भर है। इराक का संकट ज्यादा गहरायेगा या स्थिति सँभल जायेगी, अभी कोई दावे से नहीं कह सकता। स्पष्ट है कि इराक संकट गहराने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें ज्यादा बढ़ने पर रुपये में कमजोरी आयेगी और शेयर बाजार की घबराहट बढ़ेगी।

घरेलू मोर्चे पर केंद्रीय बजट से जुड़ी खबरें और अटकलें बाजार के उतार-चढ़ाव को प्रभावित करती रहेंगी। इस शुक्रवार को जिस तरह रेल मंत्री सदानंद गौड़ा ने रेल बजट लाने से पहले ही यात्री किराये और माल भाड़े में वृद्धि का निर्णय लिया, उस पर बाजार की प्रतिक्रिया सोमवार को दिखेगी। हालाँकि यह प्रतिक्रिया नकारात्मक होगी या सकारात्मक, यह देखना दिलचस्प होगा।

नकारात्मक प्रतिक्रिया इस बात पर हो सकती है कि इस फैसले के चलते महँगाई पर नियंत्रण कर पाना और भी मुश्किल हो जायेगा। पहले से ही महँगाई दर काफी ऊँची रही है। मानसून की कमजोरी के चलते महँगाई बढ़ने की आशंकाएँ भी हैं। इराक संकट के मद्देनजर कच्चा तेल के महँगा होने पर पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ाने की मजबूरी भी पैदा हो सकती है। इनके बीच रेलवे की माल ढुलाई महँगी होने से करेले पर नीम चढ़ा वाली हालत बन सकती है। सामान्य स्थिति में बाजार यात्री किराये और माल भाड़े में इस वृद्धि को रेलवे की माली हालत सुधारने वाले कदम के रूप में देख सकता था, लेकिन मौजूदा माहौल में इस कदम को महँगाई का खतरा बढ़ाने वाला कदम माने जाने का जोखिम है।

हालाँकि रेल मंत्री के इस फैसले पर उद्योग जगत की प्रतिक्रिया सँभली हुई रही है। फिक्की के अध्यक्ष सिद्धार्थ बिड़ला ने अपने बयान में कहा है कि अगर इन दरों को बीते वर्षों के दौरान लागत की भरपाई करने एवं रेलवे की जरूरतों को पूरी करने के लिए धीरे-धीरे बढ़ाया गया होता तो एकमुश्त इतनी बढ़ोतरी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती। यानी एक तरह से फिक्की ने मोदी सरकार के इस कदम का बचाव ही किया है। लेकिन साथ में उन्होंने अपनी यह उम्मीद भी जोड़ी है कि किरायों में इस वृद्धि के साथ-साथ भारतीय रेलवे की सेवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा में भी सुधार होगा। हालाँकि एक अन्य उद्योग संगठन, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री ने बढ़े हुए किराये और माल भाड़े में कम-से-कम आधा वापस ले लेने की माँग की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कड़वी दवा वाली टिप्पणी के बाद रेल मंत्री के इस फैसले से यह संकेत भी लिया जा सकता है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली एक सख्त बजट पेश करने वाले हैं। हालाँकि सख्त बजट के साथ भी यह पहलू जुड़ा है कि उस सख्ती को बाजार सकारात्मक ढंग से देख सकता है। काफी कुछ इस बात पर निर्भर है कि बजट का बड़ा संदेश क्या रहता है और उस संदेश को मोदी सरकार कितने कुशल ढंग से लोगों तक पहुँचा पाती है। इसलिए अब बजट तक बाजार की स्थिति बड़ी अनिश्चित और उतार-चढ़ाव वाली रह सकती है, जिसमें बाजार कई बार दिशा बदल सकता है। Rajeev Ranjan Jha

(शेयर मंथन, 23 जून 2014)

 

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