हल्दी में सुस्ती का रुझान, जीरे में हो सकती है गिरावट - एसएमसी

हाजिर बाजारों में नरमी के रुझान पर हल्दी वायदा (अप्रैल) की कीमतों को 6,780 रुपये के स्तर पर बाधा रहने की संभावना है।

इसकी कीमतों में बढ़त पर रोक लग सकती है। खराब क्वालिटी की आवक के कारण हाजिर बाजारों में हल्दी की कीमतों में गिरावट हुई है। इरोद टर्मरिक मर्चेन्ट्स एसोसिएशन सेल्स यार्ड में फिंगर वेरायटी की कीमतें 5,607-8,119 रुपये प्रति क्विंटल और रूट वेरायटी की कीमतें 5,051-6,869 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में कारोबार कर रही हैं। रेगुलेटेड मार्केट कमिटी में फिंगर वेरायटी की कीमतें 6,677-7,700 रुपये प्रति क्विंटल और रूट वेरायटी की कीमतें 6,089-7,139 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में हैं।
जीरा वायदा (दिसंबर) की कीमतें 18,600-18,500 रुपये के सहारा स्तर से नीचे टूट कर 18,300-18,200 रुपये तक लुढ़क सकती हैं। हाजिर बाजारों में कम खरीदारी के कारण हाल ही में जीरे की कीमतों में नरमी देखी जा रही है। खरीदार नयी फसल की आवक का इंतजार कर रहे है और फिलहाल खरीदारी कम कर रहे हैं। जीरे की बुआई दिसंबर के अंत तक होगी और नयी फसल की आवक फरवरी के अंत में शुरू होगी। गुजरात में 26 नवंबर तक जीरे की कुल बुआई 1,22,200 हेक्टेयर में हो चुकी है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 36% कम है।
धनिया वायदा (दिसंबर) की कीमतों को 6,815 रुपये के स्तर पर बाधा का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन यदि कीमतें इस स्तर को पार करती है तो 6,900 रुपये तक बढ़त दर्ज की जा सकती है। चना और गेहूँ जैसी फसलों से कड़ी टक्कर मिलने के कारण 26 नवंबर तक धनिया की बुआई वर्ष-दर-वर्ष आधार पर लगभग 79% कम होकर 8,500 हेक्टेयर रह गयी है। राजस्थान एवं गुजरात में सूखे की स्थिति के कारण मिट्टी में नमी के अभाव से इस वर्ष बुआई में कमी हुई है। दूसरी ओर बुल्गारिया, रूस और रोमानिया में धनिया की फसल के नुकसान होने के कारण विश्व बाजार में भारत एकमात्र आपूर्तिकर्ता बन गया है। (शेयर मंथन, 05 दिसंबर 2018)