वित्त मंत्री पी चिदंबरम (P Chidambaram) ने बारहवीं योजना के दौरान सरकार के राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) में कमी का आक्रामक लक्ष्य सामने रखा है।
उन्होंने कहा है कि बारहवीं योजना में सरकार की कोशिश इसे सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 5.3% के वर्तमान स्तर से कम कर 3% तक लाने की होगी।
चिदंबरम ने बताया कि देश की वित्तीय स्थिति मजबूत करने के लिए सरकार ने डॉ विजय केलकर की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है। इस समिति ने सरकार को चेताया था कि यदि सब कुछ ऐसा ही चलता रहा, तो देश का वित्तीय घाटा पिछले वित्त वर्ष के 5.8% से बढ़ कर इस वर्ष 6.1% हो जायेगा।
चिदंबरम ने कहा है कि केलकर समिति ने सरकारी घाटा कम करने के लिए कर-वसूली, विनिवेश और खर्च में सुधार के लिए कई उपाय सुझाये हैं। कर-वसूली के मामले में समिति ने वस्तु और सेवा कर (GST) लागू करने की सिफारिश की है। साथ ही इसने प्रत्यक्ष कर संहिता (DTC) को संसद में पेश करने से पहले इसकी तुरंत समीक्षा की जानी चाहिए। कर वसूली सुधारने के लिए भी प्रशासनिक उपायों की सिफारिश की गयी है। विनिवेश के मोर्चे पर समिति ने कुछ नये मॉडलों का सुझाव दिया है। समिति ने सरकार से आग्रह किया है कि वह कुछ ऐसी कंपनियों में अपने बाकी बचे शेयरों का विनिवेश करे, जिनका पहले निजीकरण कर दिया गया था। खर्च के मोर्चे पर समिति ने योजनाओं को युक्तिसंगत बनाने और खर्च पर कड़ी निगरानी एवं नियंत्रण रखने का सुझाव दिया है। सरकार ने इन सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है। (शेयर मंथन, 29 अक्टूबर 2012)