जीएसटी (GST) एक सरलीकृत कर ढाँचा होगा : जेटली (Jaitley)

arun jaitleyकेंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) ने आज कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के एक प्रतिनिधिमंडल से बातचीत करते हुए कहा कि प्रस्तावित जीएसटी निश्चित रूप से एक सरलीकृत कर प्रणाली होगी, जो वर्तमान कर प्रणाली से व्यापारियों को हो रही परेशानियों से निजात दिलायेगी।

उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटी के कारण उत्पादन से लेकर अंतिम उपभोक्ता तक विभिन्न चरणों में अनेक प्रकार के करों के मकड़जाल से भी व्यापारियों को छुटकारा मिलेगा। जेटली कैट की ओर से जीएसटी पर प्रकाशित एक पुस्तक "वस्तु एवं सेवा कर की दिशा में बढ़ता भारत" का विमोचन करते हुए ये बातें कहीं।
इससे पूर्व कैट प्रतिनधिमंडल ने जेटली को जीएसटी पर एक ज्ञापन देकर आग्रह किया कि व्यापारियों को एक से अधिक अथॉरिटी के प्रति जवाबदेह न बनाया जाये और कंप्यूटरीकृत सिस्टम से ही केंद्र एवं राज्य सरकारें राजस्व का बँटवारा कर लें। जीएसटी में कर की दर बहुत ज्यादा नहीं रखने का आग्रह करते हुए प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि अंतरराज्यीय व्यापार में लगने वाले प्रस्तावित 1% कर पर भी पुन: विचार किया जाये, क्योंकि इस कर का इनपुट क्रेडिट व्यापारियों को नहीं मिलेगा और कर पर कर लगने की संभावना बनी रहेगी।
जेटली ने कहा कि संसद से बिल पारित होने के बाद राज्यों की विधानसभाओं में बिल पारित होगा और उसके बाद केंद्रीय जीएसटी एवं आईजीएसटी का बिल पृथक रूप से संसद में एवं राज्य जीएसटी का बिल सभी विधानसभाओं में पारित होगा। उस समय व्यापारियों सहित अन्य संबंधित वर्गों से इस मुद्दे पर चर्चा की जायेगी और उनकी आशंकाओं एवं समस्याओं का निदान किया जायेगा। उन्होंने यह भी बताया कि जीएसटी काउंसिल, जिसमें केंद्रीय वित्त मंत्री एवं राज्यों के वित्त मंत्री होंगे, ही तय करेगी कि जीएसटी में कर की दर क्या हो। जेटली ने यह भी कहा कि जीएसटी कर प्रणाली का मुख्य उद्देश्य वर्तमान कर प्रणाली की विसंगतियों और असमानताओं को दूर करना है, ताकि इससे कर का दायरा बढ़े। उन्होंने कहा कि सरकार देश में एक पारदर्शी और बिना परेशानियों वाली कर प्रणाली लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। (शेयर मंथन, 5 जुलाई 2015)