मौद्रिक नीति उम्मीद के अऩुरूप : सीआईआई

सीआईआई के महानिदेशक श्री चंद्रजीत बनर्जी ने तीसरी द्वैमासिक मौद्रिक नीति को बाजार की उम्मीदों के अनुरूप बताया है। उन्होंने कहा कि नीतिगत दरों पर यथास्थिति बरकरार रखने का फैसला महँगाई रोकने के लिए मौद्रिक ढील के प्रति एक सतर्क दृष्टिकोण का संकेत देता है।

सीआईआई का मानना है कि ब्याज दरों में अग्रिम कटौती की नीति को जारी रहने की अनुमति मिलनी चाहिए। इससे यह कड़ा संदेश जायेगा कि निवेश पर लगाम कसने वाली कमजोर माँग की स्थितियों के चलते अर्थव्यवस्था में उत्पन्न जोखिम को बढ़ने से रोकने के लिए आरबीआई का रुख आक्रामक है।

श्री बनर्जी ने कहा कि सीआईआई मौद्रिक नीति में महँगाई बढ़ने और प्रतिकूल वाह्य घटनाक्रमों के चलते उत्पन्न हो सकने वाले खतरों पर आरबीआई द्वारा जतायी गयी चिंता की निःसंदेह सराहना करता है। हालाँकि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से आयातित महँगाई की आशंकाओं का शमन हुआ है लेकिन फेडरल रिजर्व की कार्रवाई, जिससे वित्तीय बाजारों के लड़खड़ाने की आशंका है, के समय के बारे में अब भी अस्पष्टता है और सरकार के खाद्य नीति प्रबंधन ने महँगाई की आशंकाओं पर सकारात्मक असर डाला है जिसका असर महँगाई के मुख्य सूचकों पर दिख रहा है।

इसके साथ ही, ऋण की माँग कमजोर है और कॉरपोरेट कंपनियाँ और बैंक खास कर बुनियादी ढाँचा क्षेत्र में निवेश पर भारी दबाव का सामना कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में ब्याज दर में कटौती निवेश चक्र को बहाल करने में बड़ी भूमिका निभायेगी।

सीआईआई उम्मीद करता है कि चक्र विकास की ओर घूमेगा और आरबीआई अपनी अगली मौद्रिक नीति में मौद्रिक ढील को बहाल करेगा, तब तक उम्मीद है कि महँगाई की चाल, मानसून के चक्र और फेडरल रिजर्व की संभावित कार्रवाई के बारे में ज्यादा स्पष्टता आ जायेगी।( शेयर मंथन 4 अगस्त 2015)