फेडरल रिजर्व ने क्यों नहीं बढ़ायीं ब्याज दरें

अमेरिकी फेडरल रिजर्व की 18 सितंबर 2015 की बैठक पर सारी दुनिया के निवेशकों की निगाहें टिकी थीं, क्योंकि इस बैठक में ब्याज दरें बढ़ाये जाने का फैसला संभावित था। मगर फेडरल रिजर्व ने विश्व अर्थव्यवस्था से जुड़ी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए फिलहाल यथास्थिति बनाये रखने का फैसला किया। इस समय खास कर चीन की अर्थव्यवस्था में आये धीमेपन ने आशंका का माहौल बना दिया है। इसके अलावा वित्तीय बाजारों में उतार-चढ़ाव और अमेरिका में महँगाई दर काफी नीची होने को भी फेडरल रिजर्व ने ध्यान रखा। हालाँकि इसने इस साल आगे चल कर दरों में वृद्धि की संभावना खुली रखी है। इसने संकेत दिया है कि इस साल किसी समय ब्याज दरों में बढ़ोतरी हो सकती है। ब्याज दरें कब बढ़ायी जायेंगी, इसके बारे में फेडरल रिजर्व का कहना है कि वह श्रम बाजार में कुछ और सुधार देखना चाहता है और महँगाई बढ़ने के बारे में ठीक से आश्वस्त हो जाना चाहता है, यानी ये दो बातें होने के बाद ही ब्याज दरों में वृद्धि होगी। 
साथ ही अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए लंबी अवधि के अपने अनुमानों को फेडरल रिजर्व ने घटाया है। इसकी चेयरपर्सन जेनेट येलेन ने कहा कि आपमें काफी जुड़ी हुई विश्व अर्थव्यवस्था की घटनाओं ने दरअसल अमेरिकी केंद्रीय बैंक के हाथ बांध दिये। उन्होंने कहा, "विदेशों में भविष्य के अनुमान अब पहले जितने निश्चित नहीं रह गये हैं।" उन्होंने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि हाल में अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट आयी है और डॉलर की कीमत बढ़ी है, जिससे वित्तीय बाजार की स्थितियाँ पहले ही कस चुकी हैं, जिसकी वजह से अमेरिकी आर्थिक वृद्धि धीमी पड़ सकती है। 
फेडरल रिजर्व की दो दिनों की बैठक पूरी होने के बाद जारी बयान में चेतावनी दी गयी है कि अन्य देशों में और वित्तीय बाजारों में हाल की घटनाओं के कारण आर्थिक गतिविधियों में कुछ अवरोध आ सकता है और इससे निकट भविष्य में महँगाई दर और नीचे जा सकती है। (शेयर मंथन, 18 सितंबर 2015)