आरबीआई के फैसले से बैंकों पर दबाव संभव : सुजन हाजरा

बाजार में आम राय थी कि आरबीआई ब्याज दर में 0.25% अंक की कटौती करेगा, मगर गवर्नर रघुराम राजन ने चौंकाते हुए 0.50% कटौती की घोषणा कर दी।

आरबीआई के ताजा अनुमानों से लगता है कि वह विकास दर में हल्की नरमी आने और वर्ष 2016 में लगातार लंबे समय तक महँगाई दर घटते हुए निचले स्तरों पर रहने की संभावना देख रहा है। आरबीआई ने खुदरा महँगाई दर जनवरी 2016 में 5.8% रहने और जनवरी-मार्च 2017 तक घट कर 4.8% पर आने का अनुमान जताया है। अगर स्थितियाँ इसी अनुरूप रहीं तो हमारा अनुमान है कि साल 2016 के दौरान ब्याज दरों में 0.50% से 0.75% अंक तक की और कमी आ सकती है।
आरबीआई गवर्नर ने अब आगे नीतिगत दरों में कटौती के बदले अब तक हुई कमी को बाजार तक ले जाने पर ज्यादा ध्यान देने की बात कही है। इससे शेयर बाजार को, खास तौर पर ब्याज दरों से प्रभावित क्षेत्रों, जैसे निर्माण (कंस्ट्रक्शन), पूँजीगत वस्तु (कैपिटल गुड्स), टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं (कंज्यूमर ड्यूरेबल्स), वाहन (ऑटो) और जमीन-जायदाद (रियल एस्टेट) के शेयरों को फायदा मिलेगा। हालाँकि बैंकों के लिए यह नकारात्मक हो सकता है, खास तौर पर सरकारी बैंकों के लिए। इन पर लागत-आय अनुपात ऊँची होने के चलते दबाव बन सकता है। सुजन हाजरा, मुख्य अर्थशास्त्री, आनंद राठी फाइनेंशियल सर्विसेज (Sujan Hajra, Chief Economist, AnandRathi Financial Services)