मार्च से मजबूती आनी शुरू हो सकती है

पी के अग्रवाल, प्रेसिडेंट (रिसर्च), बोनांजा पोर्टफोलिओ

साल 2008 काफी असाधारण रहा है। ऐतिहासिक वित्तीय संकट ने समूचे विश्व पर असर डाला है। इस संकट ने साल 2008 की शुरुआत में बनी उन आशाओं को चकनाचूर कर दिया कि साल अमेरिकी सबप्राइम संकट के असर से भारत बचा रहेगा। जैसे-जैसे संकट गहराता गया और इसकी परतें खुलती गयीं, वैसे-वैसे यह असलियत सामने आती गयी कि ऐसी वैश्विक घटनाओं से भारत अछूता नहीं रह सकता।

बुनियादी रूप से भारत की अर्थव्यवस्था पहले से काफी कमजोर हो गयी। साल 2008 की शुरुआत में महँगाई दर कम करने के लिए विकास से समझौता करने के लिए तैयार नीति निर्माताओं ने अब अपनी दिशा पलट ली है और उन्होंने विकास को लक्ष्य बना कर काम करना शुरू कर दिया है। साल 2009 में भी एक बेहद गतिशील और अनिश्चित वातावरण जारी रहने की उम्मीद है। जिन चौकन्ने निवेशकों ने ज्यादा कारोबार वाले ठीक शेयरों में खरीदारी कर रखी है, वे आने वाले साल में फायदे में रहेंगे। दो साल या इससे अधिक अवधि का लक्ष्य बना कर खरीदारी करने वाले लंबी अवधि के निवेशकों को भी अच्छा फायदा मिलने की उम्मीद है।

इतिहास बताता है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कदमों और अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न रूपों में दी जाने वाली सहायताओं का असली असर दिखने में 6-12 महीनों का वक्त लगता है। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि साल 2009 की तीसरी तिमाही तक (अक्टूबर 2009 के आसपास) भारतीय अर्थव्यवस्था फिर से 9 फीसदी के करीब विकास दर हासिल करने लगेगी। चूँकि शेयर बाजार हमेशा असली अर्थव्यवस्था से आगे रहते हैं और करीब 6 महीने आगे का अनुमान लगा कर चलते हैं, इसलिए हमारा मानना है कि मार्च 2009 के आसपास से भारतीय शेयर बाजारों में मजबूती आनी शुरू हो सकती है। हमारे विचार से साल 2009 के अधिकांश हिस्सों में बाजार के आगे बढ़ने के ही आसार हैं और निफ्टी 3250-3750-4300 के स्तरों तक जा सकता है।