
भारत के फार्मा क्षेत्र का निर्यात मौजूदा 16.5 अरब डॉलर से लगभग 30% की मिश्रित वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ कर 2020 तक 20 अरब डॉलर तक पहुँच जायेगा, जिसमें अधिकांश हिस्सा जेनेरिक दवाओं का होगा।
यह दावा एसोचैम (ASSOCHAM) और यूएल इंडिया (UL India) के एक संयुक्त अध्ययन में किया गया है। साथ ही इस अध्ययन में भारतीय फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में 2018 में लगभग 16% की वृद्धि दर्ज होने के साथ ही इसके मौजूदा 28 अरब डॉलर के स्तर से 2020 तक 55 अरब डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद जतायी गयी है।
बाजार हिस्सेदारी के संदर्भ में भारत तीसरा सबसे बड़ा वैश्विक जेनेरिक सक्रिय औषधि संघटक (एपीआई) निर्माता है। साथ ही भारत मात्रा के आधार पर विश्व स्तर पर जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। वर्तमान अनुमान बताते हैं कि यदि भारत इस क्षेत्र को विकसित करना जारी रखे तो इसकी वृद्धि का अगले कई वर्षों में विस्तार होगा। गौरतलब है कि भारत में 24,000 दवा कंपनियाँ हैं, जिनमें से 250 संगठित श्रेणी में हैं, जो कि 70% बाजार का नियंत्रण करती हैं। इसके अलावा भारत में लगभग 8,000 छोटी-छोटी इकाइयाँ एक साथ फार्मास्यूटिकल उद्योग का मुख्य रूप से निर्माण करती हैं, जिनमें पाँच केंद्रीय सार्वजनिक इकाइयाँ शामिल हैं। (शेयर मंथन, 25 दिसंबर 2017)