पूँजी प्रवाह में लगातार कमजोरी, वाह्य असंतुलन कॉर्पोरेट जोखिमों को बढ़ायेंगे

मौद्रिक स्थिति की लगातार बढ़ती तंगी और चुनौतीपूर्ण बाहरी माहौल के साथ कॉर्पोरेट्स के लिए चुनौतियां पैदा करेंगे। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने यह कहा है।


एजेंसी ने पहले बताया था कि दो तरह के घाटे राजकोषीय और चालू खाता घाटा (सीएडी) से पूंजीगत खाते पर दबाव के चलते कॉर्पोरेट क्रेडिट के और बढ़ने की संभावना है। भारी ऋण वाले 500 शीर्ष कॉर्पोरेट्स के एक विश्लेषण से पता चलता है कि वित्त वर्ष 19 में 6.47 ट्रिलियन रुपये (पुनर्वित्त सहित) की सकल उधार की उम्मीद है। उभरते बाजारों के विदेशी पोर्टफोलियो प्रवाह के चलते चुनौतियों के बीच, शुद्ध घरेलू बचत दर में कमजोरी, प्रबंधन के तहत म्यूचुअल फंड की ऋण परिसंपत्तियों में कमी, और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को क्रेडिट वृद्धि का समर्थन करने में असमर्थता, कॉर्पोरेट्स को अतिरिक्त फंड बढ़ाने में रुकावट का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, एजेंसी का मानना है कि वित्त पोषण की लागत ऊंची रह सकती है।
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (Ind-Ra) भारत की सबसे सम्मानित क्रेडिट रेटिंग एजेंसी है, जो क्रेडिट बाजारों के बारे में सटीक, समय पर और संभावित क्रेडिट राय प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। (शेयर मंथन, 17 नवंबर 2018)