सस्ते दर पर मिल रहें हैं घर, फिर भी नहीं बढ़ रही है बिक्री

होम लोन में अच्छी वृद्धि तथा ब्याज दर कम होने के बावजूद पिछले पांच साल में मकान की कीमतों में गिरावट दर्ज हुयी है।

रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। रिजर्व बैंक की सोमवार को जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2014-15 की पहली तिमाही के 16% के मुकाबले अखिल भारतीय आवास कीमत सूचकांक अप्रैल-जून 2018 में घटकर 5.3% रह गया। वहीं, आवास ऋण (होम लोन) वृद्धि इस अवधि में करीब 17% के मुकाबले 15.8% रह गयी।
रिपोर्ट के अनुसार आवास ऋण में वृद्धि तथा बैंक ब्याज दर अनुकूल रहने के बावजूद पिछली पांच तिमाहियों से आवास की कीमतें नरम रही हैं। खाली पड़े मकानों की बड़ी संख्या तथा कमजोर मांग से कीमत वृद्धि में नरमी रही है।
अगर हम हाल के वर्षों को देखें तो मांग और बिक्री में कुछ बड़ा फेरबदल नहीं हो सका है। अनुसंधान कंपनी प्रॉपइक्विटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश के आठ प्रमुख शहरों में वर्ष 2017 में जुलाई-सितंबर तिमाही में घरों की बिक्री में 35% गिरावट देखी गयी थी। वर्ष 2017 की तीसरी तिमाही में आठ शहरों में 22,699 आवासीय इकाइयां ही बिकीं। इससे पिछली तिमाही में यह आँकड़ा 34,809 इकाई था। इन आठ शहरों में गुड़गांव, नोएडा, मुंबई, कोलकाता, पुणे, हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई शामिल थे। जुलाई-सितंबर अवधि में नए घरों की पेशकश 83% घटकर 4,313 इकाई रह गयी, जो इससे पिछली तिमाही में 24,900 इकाई थी।
जमीन जायदाद क्षेत्र में साल 2018 में सुधार का संकेत दिखा और किफायती फ्लैटों की मांग और कीमतों के स्थिर रहने से सभी प्रमुख शहरों में मकानों की बिक्री में करीब 50% की बढ़ोतरी देखी गयी। हालांकि, साल के अंत में नकदी संकट की वजह से मजबूत वृद्धि की संभावना कमजोर पड़ गयी। प्रॉपर्टी डीलरों और कंसलटेंट को आशंका है कि आगामी आम चुनावों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के नकदी संकट की वजह से बिक्री में 2019 की पहली छमाही में सुस्ती आ सकती है। (शेयर मंथन, 01 जनवरी 2019)