भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की अपनी स्थिति को बनाये रखेगा: विश्व बैंक

विश्व बैंक के अनुसार, नीतिगत सुधारों और क्रेडिट में फिर से उछाल आने से भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 7.5% की रफ्तार से आगे बढ़ेगी और अनुमान है कि दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी स्थिति को बनाए रखने में कामयाब होगी।


मंगलवार को जारी बैंक की ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स (जीईपी) रिपोर्ट ने अगले वित्त वर्ष के लिए अपनी जून रिपोर्ट में भारत के लिए किए गए पूर्वानुमानों और चालू वित्त वर्ष के लिए 7.3% के अनुमान को बरकरार रखा, जो 2017-18 में दर्ज 6.7% से अधिक था। हालांकि, यह चेतावनी दी गयी है कि दक्षिण एशिया में आगामी चुनाव में राजनीतिक अनिश्चितता की स्थिति भी बनी रहेगी।
बैंक ने कहा कि चुनौतीपूर्ण राजनीतिक माहौल कुछ देशों में चल रहे सुधार एजेंडे और आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। जीईपी (GEP) ने पूरे विश्व के लिए एक निराशाजनक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। पिछले वर्ष के लिए अनुमानित 3% से नीचे और अगले दो वर्षों में केवल 2.8% की दर से वृद्धि का और चालू वर्ष के लिए विकास दर धीमी होकर 2.9% रहने का अनुमान है।
जीईपी (GEP) ने व्यापार तनाव और निर्माण में मंदी को जिम्मेदार ठहराया। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2019-20 में भारत में 7.5% की दर से विकास का अनुमान है, क्योंकि खपत मजबूत बनी हुई है और निवेश में वृद्धि हो रही है।
2020-21 और 2021-22 के वित्तीय वर्षों के लिए, जीईपी (GEP) ने 7.5% की विकास दर का अनुमान लगाया है। अगले वित्त वर्ष के लिए विश्व बैंक की 7.5% की वृद्धि का अनुमान पिछले अक्टूबर में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमान 7.4% से थोड़ा अधिक है।
लेकिन चालू वित्त वर्ष के लिए जीईपी का अनुमान 7.3% है, जो भारत के केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) के आँकड़े 7.2% और भारतीय रिजर्व बैंक के 7.4% के बीच है।
पिछले साल चीन की विकास दर 6.5% थी और इस साल और अगले साल 6.2% रहने का अनुमान है, जबकि 2021 में यह और घटकर 6% हो जायेगी।
दक्षिण एशिया में, पाकिस्तान की विकास दर पिछले वित्त वर्ष के 5.8% से घटकर इस वित्त वर्ष में 3.7% रहने का अनुमान है। बढ़ती महंगाई और बाह्य कारणों से वित्तीय स्थिति खराब हो गयी है। 2019-20 में यह फिर से बढ़कर 4.8% तक जा सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेश पिछले वित्त वर्ष में भारत को भी पीछे छोड़ दिया औऱ 7.9% की दर से तेजी से बढ़ा। जिसको मुख्य रूप से निजी खपत और प्रेषण इनफ्लो द्वारा समर्थन मिला। लेकिन चालू वित्त वर्ष में इसकी वृद्धि दर घटकर 7% रहने का अनुमान है।
रिपोर्ट जारी करते हुए, बैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा कि 2018 की शुरुआत में वैश्विक अर्थव्यवस्था सभी मोर्चों पर अच्छी तरह से प्रदर्शन कर रही थी, लेकिन इसने वर्ष के दौरान अपनी गति को खो दिया। आगे आने वाले वर्ष में इसमें और दिक्कतें आ सकती हैं।
जीईपी के अनुसार, उन्नत अर्थव्यवस्थायें सबसे खराब प्रदर्शन की हैं, जिनकी विकास दर पिछले साल 2.2% रही। जो इस साल 2% रहने का अनुमान और अगले दो वर्षों में क्रमशः 1.6% और 1.5% रहने का अनुमान है। ।
हालाँकि, अमेरिका ने पिछले वर्ष 2.9% की वृद्धि दर के साथ उस समूह में बेहतर प्रदर्शन किया है और इस वर्ष 2.5% विकास दर रहने का अनुमान है और अगले वर्षों में 1.7% और 1.6% रहने का अनुमान है। (शेयर मंथन, 09 जनवरी 2019)