केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के आँकड़ों के मुताबिक आकलन वर्ष 2018-19 में करोड़पति करदाताओं की संख्या में 20% की बढ़ोतरी हुई।
आकलन वर्ष 2017-18 में 81,344 करदाताओं के मुकाबले 2018-19 में ऐसे करदाताओं की संख्या बढ़ कर 97,689 हो गयी, जिनकी कर योग्य आय 1 करोड़ रुपये से अधिक रही। सीबीडीटी ने यह संख्या कॉर्पोरेट, फर्मों, हिन्दू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) और व्यक्तिगत लोगों की ओर से दी गयी आय की जानकारी के आधार पर बतायी है। मगर यदि सभी करदाताओं को मिला दें तो वार्षिक 1 करोड़ रुपये से अधिक की कर योग्य आय वाले लोगों की संख्या 2018-19 में 1.67 लाख रही, जो 2017-18 के मुकाबले 19% अधिक है।
सीबीडीटी के आँकड़ों के अनुसार 2018-19 के लिए 15 अगस्त तक 5.87 करोड़ निर्धारितियों ने आयकर रिटर्न दाखिल किया, जिनमें 5.52 करोड़ व्यक्तिगत, 11.3 लाख एचयूएफ, 12.69 लाख फर्म और 8.41 लाख कंपनियाँ शामिल हैं। हालाँकि 5.87 करोड़ में से 2.37 निर्धारितियों ने शून्य कर चुकाया। यानी 40% निर्धारितियों ने कोई कर नहीं चुकाया, जबकि 99 निर्धारितियों (केवल कंपनियाँ) ने 1.69 लाख करोड़ रुपये का कर चुकाया, जो कुल कर संग्रह के 21% से अधिक रहा। 526 कंपनियाँ ऐसी रहीं, जिन्होंने 100 करोड़ रुपये या अधिक का कर भुगतान किया, जबकि 3.73 लाख कंपनियों ने शून्य कर दिया।
2018-19 में ऐसे तीन लोग रहे, जिन्होंने अपनी सकल आय 500 करोड़ रुपये या इससे अधिक बतायी। 2017-18 में ऐसा केवल एक व्यक्ति था। वहीं कर भुगतान की बात करें तो 2017-18 में करीब 14,000 लोगों के मुकाबले 2018-19 में 16,700 ऐसे लोग रहे, जिन्होंने 1 करोड़ रुपये से अधिक कर भुगतान किया। इसके अलावा करीब 13.74 लाख लोगों ने 23,000 करोड़ रुपये से अधिक का अल्पकालिक पूँजीगत लाभ कर और 4.24 लाख लोगों ने 67,047 करोड़ रुपये का दीर्घावधि पूँजीगत लाभ कर भरा। (शेयर मंथन, 12 अक्टूबर 2019)