बीपीसीएल, एससीआई, सीसीआई के विनिवेश (Disinvestment) पर सीसीईए की मुहर

आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) ने बुधवार को 5 सरकारी कंपनियों - भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL), शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SCI), कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCI), टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (THDC) और नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन (NEEPCO) में विनिवेश के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार शाम यह घोषणा की। बीपीसीएल में सरकार की मौजूदा हिस्सेदारी 53.29% है और सरकार यह समूची हिस्सेदारी बेचने जा रही है। हालाँकि नुमालीगढ़ रिफाइनरी में बीपीसीएल की 61.65% हिस्सेदारी अलग से किसी अन्य सरकारी कंपनी को बेचने की योजना है। इसी तरह शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में सरकार की पूरी 63.75% हिस्सेदारी बेची जायेगी। कंटेनर कॉर्पोरेशन में सरकार की हिस्सेदारी 54.80% है, जिसमें से 30.8% हिस्सेदारी बेची जायेगी, लेकिन इसे खरीदने वाले को प्रबंधन पर नियंत्रण सौंप दिया जायेगा।
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान विनिवेश से कुल 1.05 लाख करोड़ रुपये हासिल करने का लक्ष्य रखा है। अगर इन तीनों कंपनियों का विनिवेश मार्च 2020 तक पूरा हो जाता है तो इससे विनिवेश के लक्ष्य का एक बड़ा हिस्सा पूरा हो सकेगा। मौजूदा बाजार पूँजी (मार्केट कैप) के अनुसार इन तीनों कंपनियों में प्रस्तावित विनिवेश करीब 78,000 करोड़ रुपये का हो सकता है। मौजूदा बाजार भावों के अनुसार बीपीसीएल में सरकार की 53.29% हिस्सेदारी की कीमत करीब 63,000 करोड़ रुपये बैठती है। वहीं शिपिंग कॉर्पोरेशन में सरकारी हिस्सेदारी का वर्तमान मूल्य लगभग 2,000 करोड़ रुपये और कंटेनर कॉर्पोरेशन में प्रस्तावित 30.8% हिस्सेदारी के विनिवेश का वर्तमान बाजार मूल्य लगभग 13,400 करोड़ रुपये बैठता है।
इसके अलावा, टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन में सरकार की 74.23% हिस्सेदारी और नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन में 100% हिस्सेदारी एनटीपीसी को बेची जा रही है।
सीसीईए ने इंडियन ऑयल (IOC) समेत कुछ अन्य कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी 51% से नीचे लाने को भी सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी है। हालाँकि इनमें सरकार की सीधी हिस्सेदारी और सरकार के नियंत्रण वाली संस्थाओं की शेयरधारिता के आधार पर प्रबंधन का नियंत्रण सरकार के पास ही रखा जायेगा।
सरकार ने विनिवेश के माध्यम से वित्त वर्ष 2017-18 में एक लाख करोड़ रुपये जुटाने के लक्ष्य को पार कर लिया था, और 2018-19 में भी इससे 80,000 करोड़ रुपये हासिल किये थे। मगर 2019-20 में 1.05 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश के लक्ष्य के मुकाबले अब तक इसे केवल 12,359 करोड़ रुपये ही मिल सके हैं। (शेयर मंथन, 20 नवंबर 2019)