रिलायंस इंडस्ट्रीज के कारोबार और मुनाफे में कमी

भारत की सबसे बड़ी निजी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अक्टूबर-दिसंबर 2008 की तिमाही में अपने कारोबार और मुनाफे, दोनों में गिरावट दर्ज की है। कंपनी का तिमाही शुद्ध कारोबार (नेट टर्नओवर) साल-दर-साल 34,590 करोड़ रुपये से घट कर 31,563 करोड़ रुपये रह गया है। इस तरह शुद्ध कारोबार में 8.75% की गिरावट दर्ज की गयी है। इसी तरह कंपनी का तिमाही मुनाफा (विशेष मदों को छोड़ कर) भी अक्टूबर-दिसंबर 2007 के 3,882 करोड़ रुपये से घट कर 3,501 करोड़ रुपये पर आ गया है। मुनाफे में यह कमी 9.81% की है।

एक खास बात यह भी है कि इस तिमाही में अन्य आय 241 करोड़ रुपये से बढ़ कर 663 करोड़ रुपये की हो गयी है। अगर अन्य आय को हटा कर देखें, तो मुनाफे में कमी 22% की बैठती है। इन नतीजों पर अपनी टिप्पणी में कंपनी के सीएमडी मुकेश अंबानी ने कहा है कि "कीमतों और मार्जिन में उतार-चढ़ाव की वजह से यह तिमाही रिलायंस के लिए सबसे ज्यादा चुनौती भरी तिमाहियों में से एक रही है। उत्पादक और उपभोक्ता विश्व के धीमे पड़ते व्यापार और धीमी होती अर्थव्यवस्था के हिसाब से खुद को ढाल रहे हैं। इस माहौल में रिलायंस ने ऊँची कामकाजी दरों के साथ सराहनीय प्रदर्शन किया है। आरपीएल की रिफाइनरी चालू होने के साथ ही हमने एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर भी पार किया है।"

अक्टूबर-दिसंबर 2007 की तिमाही में कंपनी ने रिलायंस पेट्रोलियम के शेयरों की बिक्री की थी, जिससे 4,733 करोड़ रुपये हासिल हुए थे। इस वजह से विशेष मदों के साथ कंपनी का तिमाही मुनाफा 8,079 करोड़ रुपये से घट कर 3,501 पर आया है। हालाँकि इस तिमाही के दौरान कामकाजी स्तर पर दबाव दिखा है, जो इसके कामकाजी मुनाफे (ऑपरेटिंग प्रॉफिट) में कमी से साफ है। तीसरी तिमाही का कामकाजी मुनाफा (ऑपरेटिंग प्रॉफिट) 4,620 करोड़ रुपये से 4,046 करोड़ रुपये रह गया है, यानी साल-दर-साल इसमें 12.42% की कमी आयी है।

बीती तिमाही के दौरान इसका सकल रिफाइनिंग मार्जिन (जीआरएम) 10 डॉलर प्रति बैरल रहा है, पिछले कारोबारी साल की तीसरी तिमाही में हासिल 15.4 डॉलर प्रति बैरल से काफी कम है। लेकिन इसके बावजूद कंपनी का जीआरएम सिंगापुर कॉम्प्लेक्स के जीआरएम की तुलना में 6.4 डॉलर ज्यादा ही है। रिफाइनिंग मार्जिन घटने के चलते रिफाइनिंग कारोबार का एबिट मार्जिन भी 10.0% से घट कर 8.7% पर आ गया।

वहीं पेट्रोकेमिकल कारोबार का एबिट (ईबीआईटी) मार्जिन 14% से घट कर 13.1% रह गया है। इसके पास कुल नकदी (नकदी-समतुल्य जोड़ कर) करीब 28,500 करोड़ रुपये की है। इस कारोबार में कंपनी के उत्पादों और कच्चे माल, दोनों की कीमतों में काफी कमी आयी है। एक तरफ जहाँ नैफ्था की कीमतें 66% घटी हैं, वहीं पॉलिमर उत्पादों की कीमतें 45-50% और पॉलिएस्टर उत्पादों की कीमतें 25-30% कम हो गयीं। उत्पादों की कीमतें घटने से घरेलू बाजार में इनकी माँग बढ़ी है, जिससे ठीक पिछली तिमाही (जुलाई-सितंबर 2008) की तुलना में पेट्रोकेम कारोबार का एबिट मार्जिन सुधरा है।

कंपनी ने बीती तिमाही के दौरान अपनी पातालगंगा इकाई में कर्मचारियों की संख्या घटाने के लिए एक वीएसएस योजना रखी थी, जिसे 430 कर्मचारियों ने स्वीकार किया था। इस योजना पर कंपनी ने 110 करोड़ रुपये खर्च किये हैं।