NCLAT ने Go First के दिवालिया आदेश को बरकरार रखा, पट्टेदारों को NCLT जाने का न‍िर्देश दिया

राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) ने 22 मई को गो फर्स्‍ट (Go First) एयरलाइन के दिवालिया होने के राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) के आदेश को बरकरार रखा था। साथ ही पट्टेदारों को एनसीएलटी में उचित आवेदन देने के लिए कहा है। इस आदेश के परिणामस्वरूप एनसीएलटी के आदेश की वजह से लगी रोक लागू रहेगी।

एसएमबीसी एविएशन कैपिटल (SMBC aviation capital), एसएफवी एयरक्राफ्ट होल्डिंग्स (SFV aircraft holdings) और जीवाई एविएशन लीज (GY Aviation Lease) जैसे गो फर्स्ट के विमान पट्टेदारों ने एनसीएलटी के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें नकदी संकट से जूझ रही एयरलाइन की दिवालिया याचिका को स्वीकार कर लिया गया था। पट्टेदारों ने एनसीएलएटी में तर्क दिया कि गो फर्स्ट दिवालिया कार्यवाही का उपयोग उन विमानों पर अध‍िकार प्राप्‍त करने के लिए कर रहा है जो उसके पास नहीं हैं। विमान पट्टेदार एसएमबीसी ने 26 विमानों के परिचालन में आने और भविष्य की तारीखों के लिए बुकिंग लेने के बावजूद स्वैच्छिक दिवाला प्रक्रिया के लिए गो फर्स्ट फाइलिंग के औचित्य पर सवाल उठाए।

एसएमबीसी एविएशन ने दावा किया कि गो फर्स्ट पर उसका 700-800 करोड़ रुपये का बकाया है। एसएमबीसी ने आगे तर्क दिया कि एनसीएलटी ने उन्हें मामले में अपना पक्ष रखने का अवसर प्रदान नहीं किया और पूरी स्थिति का पता लगाए बिना दिवालियापन के लिए गो फर्स्ट की याचिका स्वीकार कर ली।

गो फर्स्ट ने तर्क दिया कि उसने अपने 7,000 कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए वास्तविक इरादे से दिवालिया कार्यवाही शुरू की थी और यह सुनिश्चित किया था कि देश के विमानन क्षेत्र को स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का आनंद मिले। गो फर्स्ट के अंतरिम समाधान पेशेवर (IRP) की ओर से पेश उनके वकील ने दलील दी कि एयरलाइन पर अपने वेंडरों का 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है और दिवाला प्रक्रिया से उसे बकाया चुकाने में मदद मिलेगी। न्यायाधिकरण ने 15 मई को फैसले के लिए उनकी याचिका सुरक्षित रख ली थी।

(शेयर मंथन, 22 मई 2023)