ऑटो, फार्मा समेत इन चीजों पर 25% शुल्क लगाने की तैयारी में ट्रंप, जानें भारत पर क्या होगा असर

दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद डॉनल्ड ट्रंप की सरकार ने कई प्रमुख फैसल लिये हैं। इन फैसलों से जहाँ सीधे तौर से अमेरिका को फायदा मिलेगा, वहीं दुनिया के कई और देश भी इनसे प्रभावित होंगे। अब उन्होंने ऑटोमोबाइल, सेमीकंडक्टर और दवाओं के आयात पर 25% शुल्क लगाने का ऐलान किया है। 

घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए लगायेंगे 25% शुल्क

अपने ताजा बयान में डॉनल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल से ऑटोमोबाइल, सेमीकंडक्टर और दवाओं के अमेरिका में आयात पर 25% का शुल्क लगाने की बात कही है। हालाँकि उन्होंने अमेरिका में विनिर्माण संयंत्र लगाने की शर्त पर आयात शुल्क माफ करने का सुझाव भी दिया है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ के तर्ज और ट्रंप ‘मेक इन अमेरिका’ को बढ़ावा देना चाहते हैं।

क्या बोले डॉनल्ड ट्रंप

एन विदेशी न्यूज एजेंसी से बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि वह नये आयात शुल्क की घोषणा करने से पहले कंपनियों को अमेरिका आने का समय देना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि कंपनियाँ अमेरिका में प्लांट लगाये। इससे देश के युवाओं को नौकरी मिलेगी।

हालाँकि, अपने बयान में उन्होंने ये साफ नहीं किया कि वो किसी खास देश को लक्षित करने पर रुख स्पष्ट नहीं किया। उन्होंने ये भी साफ नहीं किया कि अमेरिका में आयातित सभी गाड़ियों पर ये शुल्क लागू होगा या कनाडा और मैक्सिको के साथ मुक्त व्यापार समझौते के तहत बनायी गयी कारों को इंडस्ट्री स्पेसिफिक ड्यूटी से छूट दी जाएगी।

क्या बोलते हैं जानकार?

जानकारों की मानें तो अगर गाड़ियों पर ट्रंप टैरिफ लगाते हैं तो न सिर्फ अमेरिका में गाड़ियों के दाम बढ़ जायेंगे, बल्कि औद्योगिक स्तर पर भी बुरा असर पड़ेगा। हालाँकि इसका सबसे ज्यादा असर जर्मनी, कोरिया और जापानी कार निर्माताओं को होगा।

दवाओं पर शुल्क भारत के लिए बुरा?

भारत की दवा कंपनियों के लिए अमेरिका एक बड़ा बाजार है। कई कंपनियाँ अमेरिका पर इतनी निर्भर हैं कि उनकी आय का करीब आधा हिस्सा अमेरिका से आता है। 

कंपनी अप्रैल-दिसंबर 2024 में अमेरिका को एक्सपोर्ट से आय में हिस्सा

जाइडस 49%

अरबिंदो फार्मा 46%

डॉ रेड्डीज लैब्स 46%

वृक 37%

सिप्ला 29%

सेमीकंडक्टर पर टैरिफ, भारत पर असर नहीं?

अगर ट्रंप सेमीकंडक्टर पर टैरिफ लगाते हैं तो उसका असर भारत नहीं होगा क्योंकि भारत अब तक इस इंडस्ट्री में ठीक से उतरा नहीं है। लेकिन इसका असर दक्षिण कोरिया, ताइवान और मलेशिया जैसे देशों पर पड़ेगा, क्योंकि सेमीकंडक्टर बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (टीएसएमसी) ताइवान की है। वहीं, एशिया की सबसे बड़ी चिप निर्माता कंपनियों में से एक सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स दक्षिण कोरिया की है। मलेशिया सेमीकंडक्टर का छठा सबसे बड़ा निर्यातक है। वैसे ट्रंप की घोषणा से पहले सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग अपने राष्ट्रीय बजट के हिस्से के रूप में एक नई रिसर्च एंड डेवलेप्मेंट सेमीकंडक्टर सेंटर खोलने के लिए करीब 1 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की योजना का ऐलान कर चुके हैं।

(शेयर मंथन, 21 फरवरी 2025)

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