रूसी तेल के आयात को मोदी सरकार ने कैसे साबित किया देश के लिए फायदे का सौदा?

रूस-यूक्रेन के बीच तीन सालों से अधिक समय से युद्ध जारी है। वहीं इस युद्ध के बीच भारत ने रूस से 49 अरब यूरो का कच्चा तेल खरीदा है। भारत ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से रूस से बड़ी मात्रा में तेल आयात करना शुरू कर दिया था। इसके पहले तक भारत पश्चिम एशिया से अधिकतर तेल खरीदता रहा है।

दरअसल, पश्चिमी प्रतिबंधों और कुछ यूरोपीय देशों द्वारा खरीद से परहेज के कारण रूसी तेल अन्य अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क की तुलना में काफी छूट पर उपलब्ध था और इसका फायदा भारत ने उठाया। हालाँकि, अमेरिका समेत कई देशों ने इस पर आपत्ति जतायी लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि वह किसी दबाव के आगे नहीं झुकेगा। कम समय में ही भारत का रूस से कच्चे तेल का आयात 1% से बढ़कर 40% तक पहुँच गया।

ऊर्जा एवं स्वच्छ वायु अनुसंधान केंद्र की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के तीसरे साल में नये बाजारों पर रूस की पकड़ पहले की तुलना में मजबूत हुई है। रूस के लिए तीन सबसे बड़े खरीदार चीन (78 अरब यूरो), भारत (49 अरब यूरो) और तुर्किये (34 अरब यूरो) रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के आयात मूल्य में सालाना आधार पर 8% का इजाफा हुआ है। रूस की कुल वैश्विक जीवाश्म ईंधन आय 242 अरब यूरो तक पहुँच गयी है और यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से यह कुल 847 अरब यूरो हो गयी है।

छूट के बाद भारत का आयात बढ़ा

रूसी तेल पर छूट ने भारत को बहुत सस्ती दर पर तेल खरीदने का मौका दिया। ग्लोबल मार्केट में ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत जनवरी 2025 में 76.7 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद 83 डॉलर तक पहुँच गई थी। हालाँकि, बाद में यह 76 डॉलर पर भी आ गई। भारत का औसत कच्चे तेल का दाम वित्त वर्ष 2025 में 79 डॉलर प्रति बैरल रहा, जो वित्त वर्ष 2023 के 93.1 डॉलर से कम की तरफ इशारा करता है।

भारत को हुआ फायदा

भारत ने रणनीतिक स्वायत्तता के अवसर के तौर पर रूस-युद्ध का इस्तेमाल किया। अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत ने रूस पर प्रतिबंध लगाने से इनकार किया और रूस से तेल खरीदता रहा। साथ ही भारत ने रूस के अलावा अमेरिका के साथ भी व्यापार जारी रखा। रूस ने कच्चे तेल पर भारी छूट दी तो 2022 में भारत का रूसी तेल आयात सात गुना बढ़कर 740,000 बैरल प्रतिदिन पहुँच गया। वहीं, 2023 में यह आँकड़ा बढ़कर 1.8 करोड़ बैरल प्रतिदिन हो गया। भारत ने 2022-24 के बीच रूस से कुल 132 अरब डॉलर का कच्चा तेल खरीदा, जो औसतन 44 अरब डॉलर सालाना था। रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले यह आँकड़ा 2.5 बिलियन डॉलर था।

देश में तेल के दाम रहे स्थिर

युद्ध के कारण आरंभिक दिनों में रिफाइनिंग मार्जिन में बढ़ोतरी से इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी सरकारी कंपनियों को वित्तीय मदद पर निर्भरता कम करने में मदद मिली। ये सरकारी कंपनियाँ अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अनुसार पेट्रोल-डीजल के दाम तय नहीं कर सकतीं, इसलिये उन्हें घाटे की भरपाई के लिए सरकारी सहायता की जरूरत होती थी। लेकिन सस्ते कच्चे तेल से सरकार पर ऊर्जा सब्सिडी का बोझ कम हुआ। छूट के बाद रूस से भारी मात्रा में कच्चे तेल के आयात से भारतीय रिफाइनरियों को कच्चे तेल की खरीद लागत में अरबों डॉलर की बचत हुई, जिससे उनका मुनाफा बढ़ा। भारत के इस कदम का सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बावजूद देश में पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर बने रहे और लोगों की जेब पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ा।

(शेयर मंथन, 27 फरवरी 2025)

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