
हर साल की तरह इस साल भी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) सरकार की झोली करोड़ों रुपयों से भरने वाली है। इस बात की जानकारी खुद आरबीआई ने दी है। केंद्रीय बैंक ने 31 मार्च को खत्म वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सरकार को रिकॉर्ड लाभांश हस्तांतरित करने को मंजूरी दे दी है।
सरकार को मिलेंगे 2.69 करोड़ रुपये
केंद्रीय बैंक के बोर्ड ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए के लिए सरकार को रिकॉर्ड 2.69 लाख करोड़ रुपये के डिविडेंड ट्रांसफर को मंजूरी दी है। पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में आरबीआई ने सरकार को 2.10 लाख करोड़ रुपये का डिविडेंड दिया था। मौजूदा ऐलान पिछले साल से 28% ज्यादा है जो अगले वित्त वर्ष के खातों में दिखाई देगा।
सरकार को आरबीआई का डिविडेंड
वित्त वर्ष डिविडेंड (करोड़ रुपये)
2017-18 50,000
2018-19 1,75,988
2019-20 57,128
2020-21 99,122
2021-22 30,307
2022-23 87,416
2023-24 2,10,874
2024-25 2,68,590
आरबीआई क्यों देता है डिविडेंड?
आरबीआई हर साल भारत सरकार को इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क के नियमों के तहत डिविडेंड देता है। इसे रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर विमल जालान के नेतृत्व वाली समिति की रिपार्ट के आधार पर अगस्त, 2019 में लागू किया गया था।
जालान समिति ने आरबीआई को बैलेंस शीट का 5.5 से 6.5% हिस्सा जोखिम बफर के तौर पर रखने का सुझाव दिया था। इसके बाद सरप्लस अमाउंट जिसे डिविडेंड भी कहते हैं सरकार को ट्रांसफर कर दिया जाता है। इस रकम का इस्तेमाल सरकार वित्तीय घाटे को कम करने, विकास के कामों और अपने खर्चों को पूरा करने के लिए करती है।
आय और खर्चों का अंतर ही डिविडेंड
आरबीआई की आय और खर्चों के बीच का जो अंतर होता है उसे ही डिविडेंड या सरप्लस कहते हैं। सेंट्रल बैंक रिजर्व के लिए प्रोविजन और रिटेन्ड अर्निंग के बाद ही इसे सरकार को ट्रांसफर करता है। ये ट्रांसफर आरबीआई के अधिनियम, 1934 की धारा 47 (अलॉकेशन ऑफ सरप्लस प्रॉफिट) के तहत किया जाता है।
इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क और सरप्लस असेसमेंट
डिविडेंड की गणना आरबीआई की संशोधित आर्थिक पूँजी रूपरेखा (Economic Capital Framework - ECF) के आधार पर की गयी है, जिसे 15 मई 2025 को बोर्ड की बैठक में अनुमोदित किया गया था। इस रूपरेखा के अनुसार, आरबीआई की बैलेंस शीट पर Contingent Risk Buffer (CRB) को 4.5% से 7.5% के दायरे में बनाए रखना आवश्यक है। इस वर्ष, केंद्रीय बोर्ड ने सीआरबी को बढ़ाकर 7.5% करने का निर्णय लिया।
आरबीआई की इनकम
- घरेलू और विदेशी प्रतिभूतियों की होल्डिंग पर ब्याज
- सर्विसेस से फीस और कमीशन
- फॉरेन एक्सचेंज ट्रांजैक्शन से प्रॉफिट
- सब्सिडियरी और एसोसिएट कंपनियों से रिटर्न
आरबीआई का खर्च
- करेंसी नोटों की छपाई
- जमा और उधार पर ब्याज का भुगतान
- कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन
- ऑफिसों और ब्रांचों का ऑपरेशनल खर्च
- अचानक पैसों की जरूरत और डेप्रिसिएशन के लिए प्रावधान
(शेयर मंथन, 24 मई 2025)
(आप भी किसी शेयर, म्यूचुअल फंड, कमोडिटी आदि के बारे में जानकारों की सलाह पाना चाहते हैं, तो सवाल भेजने का तरीका बहुत आसान है! बस, हमारे व्हाट्सऐप्प नंबर +911147529834 पर अपने नाम और शहर के नाम के साथ अपना सवाल भेज दें।)