टैरिफ विवाद सुलझाने पर अमेरिका और चीन में बनी सहमति

दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं – अमेरिका और चीन के बीच चल रहा व्यापार युद्ध अब थमता दिख रहा है। दोनों देशों ने सुलह के लिए सहमति बना ली है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा है कि चीन के साथ समझौता “हो चुका है”, बस अंतिम स्वीकृति बाकी है। ट्रंप के मुताबिक, जब स्वयं वे और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस पर औपचारिक मुहर लगा देंगे, तो यह समझौता लागू हो जायेगा।

रेयर अर्थ खनिजों की आपूर्ति खुलेगी

ट्रंप का यह बयान लंदन में दोनों देशों के शीर्ष अधिकारियों के बीच हुई दो दिनों की बातचीत के बाद आया है। खास बात यह है कि इस समझौते में अमेरिका को चीन से जरूरी रेयर अर्थ खनिजों (मिनरल और मैगनेट्स) की आपूर्ति फिर से शुरू हो जायेगी दूसरी ओर, चीन के छात्रों को अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई की मंजूरी फिर से दी जायेगी।

रेयर अर्थ खनिज, जैसे नियोडाइमियम और डाइसप्रोसियम आज की विभिन्न तकनीकों के लिए बेहद अहम हैं। इनका उपयोग स्मार्टफोन, बिजली वाहनों (ईवी), रक्षा प्रणालियों (डिफेंस सिस्टम) और विंड टर्बाइन में भी होता है। चीन दुनिया में सबसे अधिक रेयर अर्थ खनिजों की आपूर्ति करता है और एक तरह से उसका एकाधिकार है। अमेरिका काफी हद तक इन खनिजों की आपूर्ति के लिए चीन पर निर्भर है। लेकिन जब ट्रंप ने 2 अप्रैल को चीन पर इकतरफा ढंग से ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ लगाने की घोषणा की, तो उसके कुछ समय बाद चीन ने रेयर अर्थ खनिजों की आपूर्ति रोक ली। यही वजह है कि अमेरिका के लिए यह समझौता रणनीतिक रूप से काफी अहम बन गया था।

90 दिनों की समय-सीमा से पहले समझौता

ट्रंप प्रशासन की ओर से 2 अप्रैल को विश्व के तमाम देशों पर बढ़े हुए टैरिफ की घोषणा के कुछ समय बाद इसे 90 दिनों के लिए स्थगित किया गया था। मई में जब अमेरिका और चीन के बीच जेनेवा में बैठक हुई थी, तब एक अस्थायी ‘ट्रेड ट्रूस’ यानी व्यापारिक युद्धविराम जैसा समझौता हुआ था। इसमें अमेरिका ने चीन पर लगाये गये कुछ शुल्कों को घटा कर 30% कर दिया था। वहीं चीन ने भी अमेरिकी सामानों पर आयात शुल्क घटा कर 10% कर दिया था। अब ट्रंप के बयान से माना जा रहा है कि दोनों देश 90 दिनों की समय-सीमा से पहले समझौते की स्थिति में पहुँच गये हैं। अमेरिकी वाणिज्य सचिव (कॉमर्स सेक्रेटरी) हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि दोनों देशों ने “जिनेवा कंसेंसस” को लागू करने के लिए एक ढाँचा तय कर लिया है। जब दोनों राष्ट्राध्यक्ष इस पर सहमति जतायेंगे, उसके बाद इसे लागू किया जायेगा। (शेयर मंथन, 11 जून 2025)

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