दिवालिया होने के कगार पर खड़ी वोडाफोन को मिल सकती है राहत, सरकार कर रही विचार

भारत का टेलिकॉम सेक्टर एक अहम मोड़ पर खड़ा है, और इसमें वोडाफोन आइडिया की भूमिका निर्णायक बनती जा रही है। सरकार साफ संकेत दे चुकी है कि उसे सिर्फ दो कंपनियों का एकाधिकार मंजूर नहीं है। टेलिकॉम मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हाल ही में दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत जैसे विशाल देश में हर सेक्टर में कंपटीशन जरूरी है। सिर्फ एक या दो कंपनियों का दबदबा उपभोक्ताओं और बाजार दोनों के लिए नुकसानदेह है।

संकट में फंसी कंपनी, राहत पर विचार

वोडाफोन आइडिया लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रही है और उस पर सरकार के 84,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के रेगुलेटरी बकाये यानी एजीआर ड्यूज हैं। सरकार इस बकाये को लेकर कंपनी को राहत देने के कई विकल्पों पर विचार कर रही है। इनमें सबसे अहम हैं 6 साल की जगह 20 साल की भुगतान की मियाद, कंपाउंड इंटरेस्ट की जगह सिंपल इंटरेस्ट, और हर साल 1,000-1,500 करोड़ रुपये की टोकन रकम के तौर पर आंशिक भुगतान की सुविधा कंपनी को दी जा सकती है। इसके अलावा एजीआर विवाद के अंतिम समाधान तक कुछ राहत देने पर भी चर्चा चल रही है।

वोडाफोन आइडिया की चेतावनी

कंपनी पहले ही सरकार को सूचित कर चुकी है कि अगर उसे कोई राहत नहीं मिली तो वह वित्त वर्ष 2025-26 के बाद कामकाज जारी नहीं रख पाएगी। वहीं, दूरसंचार विभाग ने भी सरकार को आगाह किया है कि अगर मौजूदा शर्तों के मुताबिक कंपनी को 18,064 करोड़ रुपये की किस्त वित्त वर्ष 2025-26 में चुकानी पड़ी, तो वो वित्त वर्ष 2026-27 में वित्तीय रूप से बेहद कमजोर हो सकती है। 

सरकार बनी सबसे बड़ी शेयरहोल्डर

इस साल की शुरुआत में सरकार ने वोडाफोन आइडिया के कुछ बकाये स्पेक्ट्रम ड्यूज को इक्विटी में बदल दिया, जिससे कंपनी में उसकी हिस्सेदारी बढ़कर 48.99% हो गई। हालाँकि अब भी कंपनी के प्रवर्तक आदित्य बिड़ला समूह और वोडाफोन पीएलसी का प्रबंधन पर नियंत्रण बना हुआ है। इसका मतलब ये है कि सरकार की मंशा कंपनी को बचाने की है, लेकिन प्रबंधन की जिम्मेदारी प्रवर्तकों के ही पास है।

अदालतों से नहीं मिली राहत

एजीआर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया की कई याचिकाएँ खारिज कर दी हैं, जिससे कानूनी स्तर पर उसे कोई राहत नहीं मिल सकी है। अब कंपनी को सरकार से ही उम्मीद है।

निवेशकों के लिए उम्मीद की किरण?

कंपनी के शेयर पिछले एक साल में 60% तक टूट चुके हैं। 2025 की शुरुआत से भी अब तक इसमें 13% की गिरावट दर्ज हुई है। लेकिन सरकार द्वारा राहत देने की खबरों के बीच हाल के दिनों में शेयर में कुछ तेजी देखी गई है।

(शेयर मंथन, 25 जून 2025)

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