आईटी – बढ़त वाला क्षेत्र या रक्षात्मक?

राजीव रंजन झा

कुछ समय से विश्लेषकों की चर्चाओं में आईटी क्षेत्र का जिक्र रक्षात्मक क्षेत्र के रूप में होने लगा है। रक्षात्मक का मतलब ऐसा क्षेत्र, जो बाजार की गिरावट के दौर में कम फिसले लेकिन फिर बाजार की तेजी में भी वह बाजार की चाल से नहीं चलता। क्या वाकई आईटी के साथ ऐसा है? यह ठीक है कि 5 साल पहले इस क्षेत्र की जो रफ्तार थी वह 3 साल पहले बाकी नहीं रही और 3 साल पहले की रफ्तार अब बाकी नहीं बची है। लेकिन अब भी यह तमाम दूसरे क्षेत्रों से तेज चाल ही दिखा रहा है।

सॉफ्टवेयर कंपनियों की संस्था नैस्कॉम की ताजा रिपोर्ट बता रही है कि इस कारोबारी साल में यह क्षेत्र 60 अरब डॉलर की आमदनी हासिल करेगा, जिसमें से 47 अरब डॉलर सॉफ्टवेयर निर्यात से हासिल होंगे। अगर बीपीओ कारोबार को भी मिला लें तो कुल आमदनी 71.7 अरब डॉलर की होगी और आमदनी बढ़ने की सालाना रफ्तार 17% पर। ये आँकड़े विश्व अर्थव्यवस्था में मंदी के बावजूद हैं – एक ऐसे समय में जब भारतीय आईटी कंपनियों की कमाई के प्रमुख केंद्र अमेरिका और यूरोप इतनी गंभीर मंदी की चपेट में हैं।
गौर करने की बात है कि इस कारोबारी साल की दूसरी छमाही में विश्व अर्थव्यवस्था की हालत जिस तरह अचानक बिगड़ती नजर आयी, उसे ध्यान में रखने के बाद ही नैस्कॉम ने ये अनुमान सामने रखे हैं। और, कम-से-कम नैस्कॉम के अनुमानों को थोड़े नमक के साथ ही लेने वाली बात नहीं कही जा सकती। साल-दर-साल अपने सटीक अनुमानों से इसने एक अलग विश्वसनीयता बनायी है।
मेरे मन में उलझन यही है कि इस माहौल में भी अगले दो कारोबारी सालों के दौरान जिस क्षेत्र की सालाना औसत वृद्धि 15% के आसपास रहने का अनुमान हो, क्या उसे हम रक्षात्मक की श्रेणी में रख सकते हैं? बेशक इस क्षेत्र की कई कंपनियाँ दबाव के दौर का सामना नहीं कर सकेंगीं, लेकिन कई कंपनियाँ इसी बीच बाजार के अनुमानों से काफी बेहतर प्रदर्शन करती रहेंगीं। इस बार के तिमाही नतीजों में हमने यही कहानी देखी है। लेकिन एक पूरे क्षेत्र के रूप में क्या इसे दवा और एफएमसीजी कंपनियों की कतार में खड़े कर देने का वक्त आ गया है? शायद कई विश्लेषक अब इसे केवल इस अर्थ में रक्षात्मक कहते हों कि बाजार के फिसलने पर यह कम फिसलेगा। लेकिन जब बाजार चलेगा तो क्या इसकी चाल बाजार से धीमी रहेगी? मुझे नहीं लगता। चलिए, इसे अच्छी वृद्धि वाला रक्षात्मक क्षेत्र कह लीजिए!